
पटना: सीबीएसई दिल्ली के तत्त्वावधान में आयोजित क्षेत्रीय विज्ञान प्रदर्शनी का समापन समारोह डॉ डी वाई पाटिल स्कूल में सम्पन्न हुआ, जिसमें मुख्य अतिथि डॉ अखिलेश कुमार, प्रभारी, सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, सीबीएसई, पटना ने अपने प्रेरणादायक संबोधन से युवा विज्ञानियों को प्रेरित किया। उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि इस वर्ष आयोजित हुई विभिन्न क्षेत्रीय प्रतियोगिताओं में यहाँ की प्रदर्शनी सबसे बड़ी भी है, और सर्वश्रेष्ठ भी। कुल प्रतिभागी विद्यालयों की संख्या 73 है, जिसमें 36 बिहार से एवं 37 झारखण्ड से हैं। इस प्रतियोगिता में चयनित 19 टीमें, राष्ट्रीय विज्ञान प्रदर्शनी में हिस्सा लेंगी।

मुख्य अतिथि ने इस वर्ष विजयी न हो पाने वाली टीमों को अभी से अगले वर्ष की तैयारी में जुट जाने का आह्वान किया। प्रदर्शनी के सभी निर्णायक विद्वानों ने अपने वक्तव्यों में बच्चों के मॉडलों की ख़ूबियों और ख़ामियों की गहरी विवेचना करते हुए सम्यक मार्गदर्शन किया और विज्ञान के समक्ष आ रही भावी चुनैतियों के प्रति आगाह भी किया। IIT पटना के प्रोफ़ेसर डॉ मनोरंजन कर ने अपने संदेश में बताया कि ऑब्जरवेशन ही विज्ञानी का प्रथम गुण होना चाहिए। डॉ मुकुल मिश्रा ने स्वस्थ जीवन के गुर बताते हुए जीवन और विज्ञान का अन्योन्याश्रित सम्बन्ध विवेचित किया। डॉ एम डी ओझा ने अपने वैज्ञानिक जीवन के अनुभवों को साझा करते हुए अनेक मॉडलों की छोटी छोटी बारीकियों की तरफ़ सबका ध्यान आकृष्ट किया। डॉ रमाकान्त पाण्डेय ने विद्यालयों का आह्वान किया कि वे बच्चों में साइंटिफिक टेम्पर का विकास करें। दो दिन के गहन परीक्षणों एवं आकलनों के बाद निर्णायक गण ने सर्वसम्मति से 19 विद्यालयों के मॉडलों का चयन कर उन्हें राष्ट्रीय विज्ञान प्रदर्शनी के लिए अनुमोदित किया।
कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापित करते हुए प्राचार्या राधिका ने दूर दूर से आए बच्चों एवं शिक्षकों के उत्साह की भरपूर प्रशंसा की। मुख्य अतिथि-द्वय श्री जगदीश बर्मन एवं डॉ अखिलेश के साथ साथ सीबीएसई, दिल्ली के सहयोग हेतु आभार जताया। ज्ञातव्य हो कि विद्यालय की ओर से बाहर से आने वाली अधिकांश टीमों के प्रवास एवं भोजन इत्यादि का प्रबंध भी परिसर में ही किया गया था, जिसके कारण प्रतिभागी स्कूलों को किसी भी असुविधा का सामना नहीं करना पड़ा। हमारे संवाददाता ने कई दूरस्थ टीमों से बात करने के बाद यह पाया कि आगत टीमें डॉ डी वाई स्कूल की आवभगत से अत्यंत प्रसन्न थीं।