
राजगीर कन्वेंशन सेंटर में 21-25 दिसंबर को होगा ‘नालंदा साहित्य महोत्सव – 2025’ का आयोजन। नालंदा में होने वाले इस सांस्कृतिक पुनर्जागरण के महासंगम में 50,000 से अधिक लोगों आने की है उम्मीद
नालंदा: बिहार की सांस्कृतिक और भाषाई धरोहर को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाने के उद्देश्य से “धनु बिहार” न्यास द्वारा आयोजित “नालंदा साहित्य महोत्सव – 2025” का आयोजन 21 से 25 दिसंबर तक राजगीर कन्वेंशन सेंटर, नालंदा में किया जाएगा। इस भव्य आयोजन का थीम “बिहार: एक विरासत” है, जो भारत की भाषा, साहित्य और सांस्कृतिक विविधताओं को उत्सव का रूप देगा। आयोजन में पूर्वोत्तर राज्यों की सांस्कृतिक छवियों को विशेष रूप से उकेरा जाएगा।

इसकी जानकारी बीआईए, पटना में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पद्म विभूषण डॉ सोनल मानसिंह और महोत्सव निदेशक गंगा कुमार ने दी। महोत्सव की संरक्षक मंडली में शामिल डॉ सोनल मानसिंह ने इसे “सांस्कृतिक पुनर्जागरण का महा पर्व” करार देते हुए कहा कि यह आयोजन भारत के भाषाई, साहित्यिक और कलात्मक वैभव का उत्सव होगा। उन्होंने कहा, “यह महोत्सव न केवल अतीत की सांस्कृतिक समृद्धि को उजागर करेगा, बल्कि भारतीय भाषाओं और कलाओं के लिए भविष्य का मार्ग भी तैयार करेगा।” आयोजन में सूफी गायक पद्मश्री कैलाश खेर का “अतुल्य भारत” पर लाइव कॉन्सर्ट और डॉ मानसिंह का विशेष प्रदर्शन भी आकर्षण का केंद्र होगा।
महोत्सव निदेशक गंगा कुमार ने बताया कि इस आयोजन में 5000 से अधिक प्रतिभागियों के हिस्सा लेने की संभावना है, जिनमें शैक्षणिक संस्थानों, सरकारी/गैर-सरकारी संगठनों, साहित्यिक और सांस्कृतिक क्षेत्र के प्रतिनिधि शामिल होंगे। उन्होंने बताया कि इस महोत्सव में बिहार के राज्यपाल, मुख्यमंत्री, राज्यसभा उपाध्यक्ष हरिवंश, सांसद शशि थरूर, गीतकार इरशाद कामिल, मनोज मुंतशिर, अदूर गोपालकृष्णन, चंद्रप्रकाश द्विवेदी समेत कई प्रतिष्ठित हस्तियों की उपस्थिति की उम्मीद है।
इस दौरान महोत्सव की अध्यक्ष सुश्री डी आलिया ने जानकारी दी कि यह आयोजन शाइनिंग मुस्कान फाउंडेशन के सहयोग से हो रहा है और इसमें 30 से अधिक पैनल चर्चाएं, कला प्रदर्शनी, फोटो गैलरी, संस्कृतिक कार्यक्रम, और विशेष सत्र शामिल होंगे। बोली लेखकों, कला प्रेमियों, साहित्यकारों और विद्यार्थियों के लिए यह महोत्सव एक अद्वितीय मंच होगा। महोत्सव में 1 लाख से अधिक लोगों तक प्रचार अभियान चलाया जाएगा, जबकि 50,000 से अधिक आगंतुकों की उपस्थिति की संभावना जताई गई है।
प्रेस वार्ता के दौरान कार्यकारी समिति के सदस्य और प्रख्यात लेखक विनोद अनुपम ने कहा कि “बिहार की साहित्यिक चेतना को जागृत करने के लिए आज की प्रेस वार्ता केवल एक शुरुआत है। हम अगले तीन संवाद दिल्ली, मुंबई और नालंदा में आयोजित करेंगे, ताकि इस आयोजन की आवाज़ पूरे देश तक पहुँचे।” महोत्सव के क्यूरेटर पंकज दुबे, पेरिस स्थित अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ अमित पांडे, समन्वयक एफ अज़्ज़म और आयोजन समिति के कई अन्य सदस्यों की मौजूदगी में यह घोषणा हुई। सभी ने मिलकर इस कार्यक्रम को बिहार की सांस्कृतिक चेतना का भव्य उत्सव बनाने का आह्वान किया। “नालंदा साहित्य महोत्सव – 2025” निश्चित रूप से भारत के सांस्कृतिक कैलेंडर में एक ऐतिहासिक अध्याय जोड़ने जा रहा है।