
बिहार में सरकार पत्रकारिता पर क्यों लगा रही अंकुश?

एक तरफ बिहार और केंद्र की सरकार डिजिटल इंडिया का रट लगाए हुए है और विकसित राष्ट्र के लिए इसे अहम कड़ी बता रही है। इतना ही नहीं सरकार के द्वारा लोकतंत्र के चौथे स्तंभ यानि पत्रकारिता जगत को स्वतंत्र भी बताया जाता है। लेकिन वहीं दूसरी तरफ तुगलकी फरमान भी सुनाया जाता है और फरमान के जरिये पत्रकारिता पर अंकुश लगाने की भी कार्रवाई की जा रही है। दरअसल बिहार पुलिस मुख्यालय पुलिस उप महानिरीक्षक (मानवाधिकार) के नाम से राज्य के सभी पुलिस अधीक्षकों के नाम संबोधित एक पत्र जारी किया गया है जो आजकल पत्रकारिता जगत में खलबली मचाये हुए है। इस पत्र में पुलिस उप महानिरीक्षक के तरफ से आदेश जारी किया गया है कि बिना आरएनआई या पीआईबी सर्टिफिकेट के चलने वाली हरेक खबरिया वेब पोर्टल और यूट्यूब चैनल को अवैध घोषित कर बंद करवाया जाए। इस आदेश पत्र के आलोक में कई जिलों के पुलिस कप्तान ने कार्रवाई भी प्रारंभ कर दी है।


हालांकि ये अलग बात है कि बिहार पुलिस अपराध पर अंकुश लगाने में विफल है लेकिन पत्रकारिता पर अंकुश लगाने में रत्ती भर की देर नहीं। मामले को लेकर राज्य समेत देश के वेब पत्रकारों में रोष व्याप्त है। इस मामले में वेब पत्रकारों के हितों की रक्षा के लिए निबंधित एकमात्र संस्था वेब जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने बिहार पुलिस के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय, बिहार सरकार के सूचना मंत्री और मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर अपना विरोध दर्ज करवाया है। विगत करीब एक सप्ताह से राज्य भर के पत्रकारों में उहापोह की स्थिति बनी हुई है कि आखिर क्या हो रहा है।
आवाज दबाने की कोशिश
बिहार पुलिस की इस तुगलकी फरमान को आवाज दबाने की कोशिश के रूप में भी देखा जा रहा है। क्योंकि सरकार की तरफ से प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को समय समय पर विज्ञापन उपलब्ध करवाया जाता है और इसकी वजह से जनोपयोगी और सरकार विरोधी खबरें नहीं चलती है लेकिन वेब पोर्टलों पर जनोपयोगी के साथ ही सरकार विरोधी खबरें भी चलती हैं जिससे अक्सर सरकार और प्रशासन की किरकिरी होती है। माना जा रहा है कि सरकार और प्रशासन के विरोध में खबरें चलाने से आहत आलाधिकारियों ने इसे जबरन बंद करवाने की ही मुहिम चला दी।
क्या है मामला?
सूत्रों की मानें तो नेशनल प्रेस यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष शैलेश कुमार पांडेय ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लिखे एक पत्र में वेब पोर्टल और यूट्यूब चैनल को फर्जी बताते हुए पत्रकारिता को खतरा बताया था जिसके बाद बिहार पुलिस मुख्यालय ने बगैर किसी जांच पड़ताल के सीधे तुगलकी फरमान जारी कर दी।
डब्लूजेएआई की पहल पर अधिकारियों का रवैया
बिहार पुलिस मुख्यालय के द्वारा जारी तुगलकी फरमान की जानकारी के बाद जब डब्लूजेएआई ने डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय से मिलकर एक ज्ञापन सौंपने की कोशिश की तो करीब तीन घंटे इंतजार करने के बावजूद उनसे मुलाकात नहीं हो सकी लिहाजा ज्ञापन भारतीय पोस्ट के माध्यम से भेजा गया। वहीं अन्य अधिकारी कुछ भी कहने से बचते नजर आ रहे हैं।
कहते हैं सूचना मंत्री
मामले में सूचना मंत्री नीरज कुमार से जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि फरमान आधिकारिक नहीं है। कोई भी खबरिया वेब पोर्टल या यूट्यूब चैनल फर्जी नहीं है।