
बिहार ब्रेकिंग-रविशंकर शर्मा-पटना ग्रामीण

सूबे के पटना जिले में प्रमुख शहरों को छोड़कर भारत संचार निगम लिमिटेड की मोबाइल और लेंड लाईन सेवाएँ निचले स्तर पर पहुँच चुकी है। बीएसएनएल की सेवाएँ सूबे में बाधित रहने से इसके उपभोक्ताओं को तो परेशानी हो ही रही है साथ ही आम नागरिक भी खासे परेशान हैं। जैसा कि आपको मालूम है सभी सरकारी पदाधिकारी, पुलिस, जनप्रतिनिधियों आदि को सरकारी नंबर के तौर पर बीएसएनएल का ही नंबर दिया गया है। ऐसे में किसी भी घटना दुर्घटना, हिंसक झड़प अथवा विवाद की स्थिति में लोग पुलिस को सूचना नही दे पाते हैं। और जबतक पुलिस को सूचना मिलती है काफी देर हो चुकी होती है, ऐसे में बीएसएनएल के कमियों का खामियाजा आम जनता को तो भुगतना ही पड़ता है साथ ही साथ प्रशासनिक पदाधिकारी भी आलोचनाओं और पब्लिक के आक्रोश से नही बच पाते हैं।
इस बाबत बाढ़ के बीएसएनएल के एसडीओ से जब हमारे संवादाता ने बात की तो उन्होंने केबल कट जाने का बहाना किया। जब हमारे संवादाता द्वारा यह पूछा गया कि सभी कंपनियों के केबल तो अंडर ग्राउंड ही आये हैं फिर सभी की सेवाएँ क्यों जारी रहती है क्या सिर्फ बीएसएनएल के केबल को चिन्हित करके काट दिया जाता है? तो एसडीओ ने कहा हमे नही मालूम। गौरतलब है कि सूबे के शहरों को छोड़कर बाकी इलाकों में बीएसएनएल की सेवाएँ महीने में 20 से 25 दिन बाधित रहती है। जिससे न सिर्फ उपभोक्ता बल्कि आपात स्थिति में आम नागरिक और प्रशासनिक पदाधिकारी भी परेशान रहते हैं। लेकिन जिम्मेवारी लेने वाला कोई नही है। हालाँकि सूत्रों की माने तो बीएसएनएल के अधिकारियों की सांठ गांठ निजी कंपनियों से रहती है और निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए जानबूझकर बीएसएनएल की सेवाओं को बाधित रखा जाता है और इसके लिए एक बड़ा रैकेट बीएसएनएल और निजी कंपनियों के बीच कार्यरत हैं।