
बिहार ब्रेकिंग-कुणाल कुमार-सुपौल

देर रात सुपौल सदर अस्पताल में सरकारी चिकित्सक की असंवेदनशीलता और कर्तव्यहीनता एक बार फिर देखने को मिली, जहाँ एक सप्ताह पहले प्रतापगंज थाना क्षेत्र में नाबालिग लड़की के साथ हुये गैंगरेप में दुबारा 164 का बयान देने सुपौल व्यवहार न्यायालय पहुँची। पीड़िता की हालात को देखते हुये न्यायधीश ने पुलिस को पीड़िता का इलाज कराने का लिखित निर्देश दिया। सीएस को भेजे गए निर्देश मे अपर जिला सत्र न्यायधीश प्रथम ने अविलम्ब पीड़िता का इलाज शुरू करने का निर्देश दिया साथ ही सीएस को न्यायालय ने निर्देश जारी कर पीड़िता का इलाज करने और इलाज मे प्रगति से न्यायालय को भी अवगत कराने का भी निर्देश दिया। जिसके बाद पुलिस अधिकारी ने पीड़िता को सदर अस्पताल लेकर पहुंचे जहां ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर ने कोर्ट के आदेश को रिसीव तक नहीं किया।
सदर अस्पताल मे मौजूद डॉक्टर और पुलिस अधिकारी के बीच काफी देर तक नोकझोंक के बाद पीड़ित परिजन ने डीएम को फोन कर अस्पताल की कुव्यवस्था की जानकारी दी। प्राप्त जानकारी के अनुसार डीएम के संज्ञान लेने के बाद अस्पताल प्रशासन हरकत मे आयी और डीएस ने खुद आकर मरीज की जांच की और उपचार शुरू कर दिया, जिसके बाद मामला शांत हुआ। परिजनों का आरोप है कि जब वे लोग अस्पताल आए और कोर्ट का लेटर मौजूद डॉक्टर को देते हुए पीड़िता का इलाज शुरू करने की बात कही तो दूसरे डॉक्टर के एवज मे ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर ने पत्र लेने से इनकार करते हुए खुद वहां से ये कहते निकल गए की जिसकी ड्यूटी है वो डॉक्टर पत्र को रिसीव करेंगे। जिसके कुछ देर बाद ड्यूटी वाले डॉक्टर भी वहां पहुंच गए और उनसे भी पीड़ित परिजनों एवं पुलिस अधिकारी को लंबी बहस हुई। बावजूद ड्यूटी पर आए डॉक्टर भी कोर्ट के निर्देश को रिसीव नहीं किया।
इस दौरान डॉक्टर का कहना था की उक्त लेटर डीएस और सीएस ही रिसीव करेंगे। इधर तब तक परिजनों ने डीएम को मामले की जानकारी दे दी जिसके बाद डीएम ने संज्ञान लेते हुए सीएस और डीएस को कड़े निर्देश दिए जिसके बाद वहां पहुंचे डीएस डॉ अरुण वर्मा ने पीड़िता का इलाज शुरू करवाया। इस तरह करीब तीन घंटे तक रेप पीड़िता को कोर्ट का आदेश रिसीव कराने और पीड़िता का इलाज करवाने के लिए भटकते रहे।