
सुपौल: अपनी मांग के लिए आशा कार्यकर्ता इंसानियत भूल गई। एक महिला प्रसव पीड़ा के दर्द से कराहती हुई ईलाज के लिए अस्पताल पहुंची। लेकिन अस्पताल के बाहर धरने पर बैठी आशा कार्यकर्ताओं ने पीड़ित महिला को भला बूरा कहकर बिना ईलाज के अस्पताल के गेट से ही भगा दिया । मामला त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय अस्पताल की है।

निजी अस्पताल में कराना पड़ा ईलाज
आशा कार्यकर्ताओं द्वारा अस्पताल से भगाने के बाद विदेश सादा को अपनी गर्भवती 24 वर्षिय पत्नी निराशा देवी को प्रसव के लिए निजी अस्पताल लेकर जाना पड़ा। पीड़ित महिला का ईलाज निजी अस्पताल में चल रहा है जहां महिला की स्थिती सामान्य है।
अस्पताल के प्रभारी उपाधिक्षक मामले को गलत बताया
पूरे घटनाक्रम के दौरान अस्पताल के प्रभारी उपाधिक्षक आर पी सिन्हा मौजूद थे। उनसे जब इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने मामले को झूठ बताते हुए कहा आशा कार्यकर्ताओं पर लगाए गए आरोप अमानविय बर्ताव गलत है।