
बिहार डेस्क-रविशंकर-बेगूसराय
देश विदेश में राम कथा कहने वाले मुरारी बापू पर सवाल उठने लगे हैं, कारण है राजसी ठाठ बाठ में उनका रहन सहन। एक श्रोता और आध्यात्म, संस्कृति तथा सनातन के जानकार मोकामा निवासी रामाश्रय सिंह ने उनके संत स्वरूप को नकारते हुए यह सवाल उठाया कि संतों का जीवन संत स्वरूप ही होना चाहिए न राजा महाराजाओं की तरह।


साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि, मुरारी बापू पहले राम के चरित्र को खुद में ढालें, और शब्दों का ज्ञान प्राप्त करें। अगर किसी को राम कथा कहनी है तो उसके लिए तुलसी दास का जीवन अपनाएँ ना कि पचास लाख फी लें। उन्होंने स्वामी रामदेव पर भी सवाल उठाया और कहा इनलोगों में अज्ञानता तो है ही साथ ही इन्होंने धर्म को धंधा बना लिया है। गौरतलब है कि इनदिनों बेगूसराय के सिमरिया में लगभग सौ करोड़ की लागत से सांस्कृतिक, साहित्यिक और आध्यात्मिक महाकुंभ का आयोजन जारी है। कई लोग रामाश्रय सिंह के समर्थन में दिखे और अब स्वामी रामदेव और मुरारी बापू जैसे राजसी ठाठ बाठ में रहकर खुद को संत कहने बाले लोगों पर भी सवाल उठने लगे हैं।