बिहार ब्रेकिंगः सुप्रीम कोर्ट का आज एक बड़ा फैसला आया है। यह फैसला केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर को लेकर आया है। इस मंदिर में अब हर आयुवर्ग की महिलाएं प्रवेश कर सकेंगी। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि भक्ति में भेदभाव नहीं होता। जानकारी के मुताबिक कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि भक्ति के मामले में भेदभाव नहीं किया जा सकता है और महिलाओं को मंदिर में प्रवेश ना देना उनके साथ लैंगिक भेदभाव का उदाहरण है. कोर्ट ने 53 साल पुराने कानून को समाप्त करते हुए कहा कि अब सबरीमाला मंदिर में हर आयु वर्ग की महिलाएं प्रवेश कर सकेंगी. गौरतलब है कि रजस्वला आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश के संबंध में प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने अपनी और न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर की ओर से फैसला पढ़ा. न्यायालय की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 4रू1 की बहुमत से फैसला दिया. न्यायमूर्ति आर. एफ. नरीमन और न्यायमूर्ति डी. वाई. चन्द्रचूड़ प्रधान न्यायाधीश के फैसले से इत्तेफाक रखते हैं, जबकि न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा ने उनसे अलग अपना फैसला लिखा है.गौरतलब है कि सबरीमाला मंदिर भगवान अयप्पा का है, जो ब्रह्मचारी हैं. साथ ही इस मंदिर में प्रवेश से पहले 41 दिन का व्रत रखा जाता है, चूंकि 10-50 साल तक की महिलाएं रजस्वला होती हैं इसलिए वे इस व्रत का पालन नहीं कर सकतीं इसलिए उन्हें मंदिर में प्रवेश नहीं दिया जाता था
