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चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस के बीच चल रहे खटपट और मोदी कैबिनेट में पारस को मंत्री पद दिये जाने के बाद चिराग पासवान ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था लेकिन कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दी है। चिराग ने दिल्ली हाई कोर्ट में मामला दर्ज कराते हुए अपनी दलील दी थी कि सांसद पशुपति कुमार पारस को लोजपा से निष्कासित कर दिया गया है। वे अब लोजपा के नेता या सांसद नहीं हैं। साथ ही चिराग ने ये भी दलील दी कि वे अपने आपको लोजपा अध्यक्ष बताते हैं लेकिन लोजपा के 75% अधिकारी अब भी हमारे साथ हैं।
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इन दलीलों के साथ चिराग ने पशुपति कुमार पारस को मंत्री बनाये जाने पर भी सवाल उठाया और कहा था कि उन्हें मंत्री बनाया जाना गलत है। चिराग पासवान की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि इस याचिका का कोई आधार ही नहीं है इसलिए याचिका खारिज की जाती है। कोर्ट ने ये भी कहा कि ये मामला लोकसभा स्पीकर के पास पेंडिंग है। इस मामले में आदेश देने का कोई औचित्य नहीं है।
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हाई कोर्ट के द्वारा चिराग की याचिका खारिज होने पर पशुपति कुमार पारस एक तरफ जहां खुश हुए वहीं दूसरी तरफ उन्होंने चिराग पर चुटकी भी ली और कहा कि ये तो होना ही था। हम पांच सांसदों के साथ लोकसभा अध्यक्ष से मिले। नियम के हिसाब से हमें स्पीकर ने बतौर संसदीय दल के नेता की मान्यता दी। इसके खिलाफ चिराग कोर्ट चले गए। अब कोर्ट का फैसला आ गया है, इसका हम सम्मान करते हैं।’