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लोजपा में तख्तापलट के बाद चिराग के चाचा पशुपति पारस बुधवार को दिल्ली से पटना पहुंचे। पटना पहुंचने के बाद उन्होंने चिराग के द्वारा लगाए गए आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि पार्टी का अपना एक संविधान है। संविधान के अनुसार एक व्यक्ति केवल एक पद पर रह सकता है जबकि चिराग तीन पद पर थे और यही वजह है कि पार्टी ने उन्हें दो पदों से मुक्त करने का फैसला लिया। पशुपति ने कहा कि चिराग का तीन पदों पर होना असंवैधानिक था। इतना ही नहीं उन्हें अध्यक्ष भी बिना किसी चुनाव या नामांकन के बनाया गया था।
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चिराग पासवान के यह कहने पर कि लड़ाई लंबी चलेगी, इस पर उन्होंने कहा “लंबी लड़ाई है तो लड़िये, सुप्रीम कोर्ट तक जाइये। चिराग ने बिहार के अध्यक्ष पद से मुझे असंवैधानिक रूप से हटाया, यह मुख्य कारण है। हम चाहते थे कि एनडीए के साथ चुनाव लड़े लेकिन ऐसा नहीं हुआ। गठबंधन नहीं था, सभी की हार हो गई। लोगों में यही आक्रोश था। हम कह रहे हैं कि लोजपा हमारी है, बाकी कोर्ट बताएगा।” पशुपति पारस ने कहा, “हमारी पार्टी के संविधान में साफ लिखा है कि एक व्यक्ति-एक पद। चिराग पासवान 2013 से पार्लियामेंट्री बोर्ड के चेयरमैन हैं, 2019 में उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया, इसके लिए चुनाव नहीं हुआ, नामांकन नहीं हुआ। इसके बाद वो संसदीय दल के नेता बनें। पार्टी के संविधान के खिलाफ एक व्यक्ति 3 पद पर रहा, इसलिए पार्टी ने फैसला लिया कि इन्हें (चिराग पासवान) संसदीय दल के नेता और राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से मुक्त किया जाए।”