
भूतनाथ रोड, न्यू बाईपास स्थित *नॉलेजग्राम इंटरनेशनल स्कूल के कैंपस में होलिकोत्सव का आयोजन किया गया, जिसमें लगभग दो सौ विद्यार्थियों के साथ उनके अभिभावकों तथा विद्यालय के शिक्षक-शिक्षिकाओं ने सोत्साह भाग लिया।

कार्यक्रम की विषयवस्तु थी:
*कोविड की मज़बूरी में होली जम्बोरी।*
*उत्सव का आनंद, सावधानियों के संग।*
आयोजन के प्रारम्भ होने के पहले ही प्राचार्या राधिका के. ने बच्चों एवं अभिभावकों को यह बताया कि कैसे होली खेलना भी है और शारीरिक दूरी भी बनाए रखना है। सूखे रंग और गुलाल के साथ फूलों की पंखुड़ियों से होली खेलने की योजना उन्होंने समझाया।
होली-क्रीड़ा प्रारम्भ होने के पूर्व कक्षा अष्टम के विद्यार्थी आदित्य शंकर ने
*“या तो होली बरसाने में, या सजती ब्रजधाम में।*
*मातु पिता गुरु बाल-वृंद की होली नॉलेजग्राम में;”*
गाकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।
तदोपरांत बच्चों और अभिभावकों के लिए होली से संबंधित नृत्यनाटिका का प्रस्तुतिकरण हुआ, जो खूब सराहा गया। इसके अतिरिक्त कई अन्य रोचक लघु-कार्यक्रमों का मंचन भी किया गया। उपस्थित बच्चो के लिए कई टैलेंट हंट प्रोग्राम भी आयोजित हुए और अनेक विद्यार्थियों को पुरस्कार से भी नवाज़ा गया।
अब होली खेलने की बारी आई। सबसे पहले बच्चों ने अपने गुरुओं और माता-पिता के चरणों में गुलाल चढ़ाया और माथे पर पुष्पवर्षा की। इसके पश्चात बच्चे अलग अलग टोलियां बनाकर कभी सूखी अबीर से तो कभी फूलों की पंखुड़ियों से होली खेलने लगे। अभिभावक ने भी बच्चों के उत्साह से प्रभावित होकर आपस में ख़ूब होली खेली। टीचर्स कभी बच्चों की टोलियों में तो कभी अभिभावकों के समूह में होली खेलने लगे। होली का रंग अब अपने उफ़ान पर था और अब बच्चों, शिक्षकों और अभिभावकों की टोलियों का मेल देखने लायक था। तसल्ली इस बात की थी कि टोलियों के आपस में मिल जाने के बाद भी सबने सावधानी-पूर्वक शारीरिक दूरी बनाए रखी। होली की धुन पर बज रहे गानों पर सभी ने खूब नर्तन किया और होली का आनन्द उठाया।
अपने संबोधन में विद्यालय के निदेशक डॉ सी बी सिंह ने होली के पर्व को समानता लाने वाला विश्व का सर्वोत्तम पर्व बताया और बच्चों का आह्वान किया कि वे अपनी सफलताओं के रंग से दुनिया को ऐसे सजा दें कि सारा संसार सबके लिए सुन्दर हो जाए।
प्राचार्या राधिका के. ने अपने संबोधन में जीवन की संपूर्णता को होली से जोड़ा। उन्होंने बताया कि यदि किसी के पास अगर रंग, गुलाल और पंखुड़ियों का अंबार भी लगा हो और कोई साथ खेलने वाला न हो तो होली नहीं हो सकेगी। इसी प्रकार सुख-संपत्ति और संपन्नता मूल्यविहीन होगी, यदि हम साथ न हों, हमारे साथ स्वस्थ समाज न हो। अतः होली केवल नई फ़सल के आगमन की सूचक नहीं बल्कि नए रिश्तों को गढ़ने, सामंजस्य बढ़ाने, भेद-भाव मिटाने और उत्साह जगाने का भी त्यौहार है।
डी ए वी के प्राचार्य डॉ हिमांशु पांडेय ने भी बच्चों को आशीर्वाद दिया और जीवन में होली की प्रासंगिकता समझाई। उनके द्वारा गाया गया होली-गीत सबको ख़ूब भाया।
इस उत्सव में चार चाँद तब लग गए जब अभिभावकों में से अनेक ने होली के आंचलिक गीतों के गायन का प्रस्ताव रखा। अनेक पुरूष- नारियों ने भोजपुरी, मगही, अंगिका, बज्जिका और मैथिली भाषाओं में होली गीत प्रस्तुत कर इस कार्यक्रम की सुंदरता में चार चाँद लगा दिया। अंततः राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
होली के इस महोत्सव में डॉ रविशंकर जी, डॉ नरेंद्र सिंह, रिंकू मुखिया जी, डॉ हिमांशु पाण्डेय एवं एम के सिन्हा सहित क्षेत्र के अनेक प्रतिष्ठित लोग विद्यमान थे।