
राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता पूर्व विधान पार्षद आजाद गांधी एवं एजाज अहमद ने अपने संयुक्त वक्तव्य में आरोप लगाया कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार किसानों के आंदोलन को कुचलने के लिए कील कांटे और दीवारों का सहारा ले रही है तथा पुलिसिया दमन के सहारे आंदोलन को दबाने का कार्य कर लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचल कर कारपोरेट घराने को फायदा पहुंचाने में लगी हुई है ।और ताकत और किलाबंदी के बल पर किसानों के तीनों काला कानून को लागू करवाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती

है। और इसके लिए हर तरह के हर हथकंडे अपना रही है।
नेताओं ने आगे कहा कि वहीं दूसरी ओर बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली डबल इंजन सरकार प्रशासनिक पदाधिकारियों के द्वारा आदेश निकाल कर यह कहा जाता है कि अगर किसी ने सत्ता व्यवस्था के विरुद्ध धरना-प्रदर्शन कर अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग किया तो आपको बिहार में नौकरी नहीं मिलेगी। इसका मतलब नौकरी भी नहीं देंगे और नौकरी के लिए विरोध प्रदर्शन भी प्रकट नहीं करने देंगे।
नेताओं ने पूछा कि क्या लोकतंत्र में सरकार चलाने का यही तरीका है अगर लोकतंत्र में जनता अपने अधिकारों के लिए संघर्ष और आंदोलन नहीं करेगी तो लोकतंत्र का फिर मतलब क्या रह जाएगा?
दोनों नेताओं ने कहा कि नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार कि सरकार कौन से राह पर चल रहे हैं यह किसी को समझ में नहीं आ रहा है कि देश के लोगों को हमेशा अपने हठधर्मिता से ये लोगो को कहां पहुंचाना चाहते हैं, यह स्पष्ट कीजिए । क्या इसी तरह से केंद्र और बिहार की डबल इंजन की सरकार किलाबंदी करके और काला कानून बनाकर सबका साथ सबका विश्वास और सबका विकास कर सकती है या सिर्फ बड़े कारपोरेट घरानों के फायदे के लिए ही ये सरकारें हैं।
नेताओं ने केंद्र एवं बिहार सरकार से अविलंब ऐसे काला कानून और किलाबंदी को समाप्त करके किसानों तथा नौजवानों को लोकतांत्रिक अधिकार दें, अन्यथा राजद तेजस्वी प्रसाद यादव के नेतृत्व में इसके खिलाफ जन आंदोलन खड़ा करेगा ।