
बिहार विधानसभा चुनाव के बाद जो नतीजे सामने आए उससे यह साफ हुआ कि सत्ता परिर्वतन तो नहीं है लेकिन सत्तासीनों की हैसियत बदल गयी है। अब तक बड़े भाई की भूमिका में रहने वाली जेडीयू चुनाव मंे महज 43 सीट हीं जीत पायी जबकि बीजेपी 75 सीटें जीतकर बड़े भाई की भूमिका में है। इस बदले हुए गणित का असर भी एनडीए में देखने को मिल रहा है। दो डिप्टी सीएम और कई महत्वपूर्ण पद बीजेपी के खाते में चले गये हैं। सवाल है कि क्या बीजेपी जेडीयू को वक्त बेवक्त यह अहसास दिलाने वाली है कि वो बड़ा भाई है और उसकी हैसियत सरकार और एनडीए में बड़ी है? संकेत तो ऐसे हीं हैं। अंदरखाने की खबर यह है कि बिहार की सरकार नीतीश के सात निश्चय पार्ट 2 के एजेंडे पर तो चलेगी लेकिन काॅमन मिनिमम प्रोग्राम भी बनेगा।

बिहार एनडीए से आउट हुई लोजपा के सुप्रीमो भी यह मांग करते रहे हैं कि बिहार में सरकार सिर्फ नीतीश के एजेंडे पर नहीं चलनी चाहिए बल्कि काॅमन मिनिमम प्रोग्राम भी बनना चाहिए। सत्ताधारी गठबंधन के अंदर से आ रही खबर के मुताबिक बिहार में विकास की योजनाएं अब कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के तहत ही होंगी हालांकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सात निश्चय पार्ट 2 का एजेंडा इसमें शामिल रहेगा।सात निश्चय पार्ट 2 के साथ-साथ भारतीय जनता पार्टी अपने एजेंडे को सरकार की कार्यसूची में शामिल कराएगी साथ ही हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा और विकासशील इंसान पार्टी की तरफ से भी कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के लिए सुझाव मांगा जाएगा. चारों दलों की सहमति से कॉमन मिनिमम प्रोग्राम की रुपरेखा तय होगी और इसी पर बिहार में एनडीए सरकार काम करेगी.