
बिहार ब्रेकिंग
आनंद कौशल, प्रधान संपादक
कोरोना के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था में गिरावट
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पूरा विश्व कोरोना महामारी की चपेट में है। भारत भी इससे अछूता नहीं है लेकिन कोरोना के खतरों को बीच देश को विकास की पटरी पर गतिमान बनाये रखना भी जरूरी है। कोरोना से विश्व की लगभग सभी बड़ी अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है। चीन को छोड़ दें तो शायद ही कोई देश होगा जिसकी राष्ट्रीय आय अथवा सकल घरेलु उत्पाद में कमी दिखाई नहीं दे रही हो। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ की रिपोर्ट ने एक बार फिर भारत को लेकर चिंता की लकीर खींच दी है। सवाल अर्थव्यवस्था के केवल पिछड़ने का नहीं है बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था छोटे देशों के सामने भी लहू-लुहान दिखाई देने वाली है।

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इस साल बांग्लादेश से भी पिछड़ जाएगा भारत
साल 2020 में प्रति व्यक्ति सकल घरेलु उत्पाद यानी जीडीपी में भारत बांग्लादेश से भी पिछड़ सकता है। इस मामले में भारत, मालदीव, भूटान और श्रीलंका से भी पिछड़ सकता है। आईएमएफ ने 2020 में वैश्विक अर्थव्यवस्था में भी 4.9 प्रतिशत गिरावट का अनुमान जताते हुए दावा किया है कि यह अप्रैल 2020 में जारी विश्व आर्थिक परिदृश्य के अनुमान से औऱ 1.9 प्रतिशत नीचे है। आईएमएफ की रिपोर्ट को मानें तो इस साल बांग्लादेश की प्रति व्यक्ति जीडीपी 1,888 डॉलर यानी करीब 1.38 लाख रुपये रह सकती है, जबकि भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी 1,877 डॉलर जो करीब 1.37 लाख रुपये होती है उतनी ही रह सकती है। आईएमएफ के अनुसार इस साल बांग्लादेश की प्रति व्यक्ति जीडीपी में 4 फीसदी की बढ़त होगी, दूसरी तरफ, भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी इस साल करीब 10.5 फीसदी घटने की आशंका जतायी गयी है।
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लगातार बढ़ती जनसंख्या घटती जीडीपी का बड़ा कारण
रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण एशिया में भारत प्रति व्यक्ति जीडीपी के मामले में सिर्फ नेपाल और पाकिस्तान से ही आगे रहेगा लेकिन इस मामले में वह मालदीव, भूटान और श्रीलंका से पिछड़ सकता है। जानकारों की राय है कि कृषि को छोड़ कर किसी भी सेक्टर में विकास दर निराशाजनक है। लगातार बढ़ती जनसंख्या औऱ कोरोना से उपजे हालात की वज़ह से भारत की जीडीपी की इस गिरावट को लेकर चिंता ज़ाहिर की गयी है। भारत की जनसंख्या इस साल 136 करोड़ से बढ़कर 138 करोड़ हो सकती है। हालांकि राहत औऱ थोड़ी खुशी की बात ये भी है कि साल 2021 के लिए आईएमएफ ने 8.8 प्रतिशत की वृद्धि की भी संभावना व्यक्त की है। आईएमएफ की मानें तो 1961 के बाद भारत के लिए ये सबसे धीमा वृद्धि दर है।