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आज पूरा विश्व ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से जूझ रहा है। जहां तहां पानी की कमी से लोग परेशान हो रहे हैं। पूरे विश्व मे पानी कम खपत करने और प्लास्टिक का उपयोग न करने की सलाह दी जा रही है। ऐसे में असम में एक स्कूल ने अनोखा रुख अख्तियार किया है और बच्चे से स्कूल फीस के बदले प्लास्टिक कचरे की मांग करती है। नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत ने भी इस स्कूल की पहल की सराहना की है। उन्होंने सोमवार को एक मीडिया रपट को रीट्वीट करते हुए इस पहल को शानदार बताया है। सोशल वर्क में स्नातक परमिता शर्मा और माजिन मुख्तार ने उत्तर पूर्वी असम में पमोही नामक गांव में तीन साल पहले जब अक्षर फाउंडेशन स्कूल स्थापित किया, तब उनके दिमाग में एक विचार आया कि वे विद्यार्थियों के परिजनों से फीस के बदले प्लास्टिक का कचरा देने के लिए कहें।
मुख्तार ने भारत लौटने से पहले अमेरिका में वंचित परिवारों के लिए काम करने के लिए एयरो इंजीनियर का अपना करियर छोड़ दिया था। भारत आने पर उनकी मुलाकात शर्मा से हुई। वर्ल्ड इकॉनॉमिक फोरम की वेबसाइट पर छपी रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों ने साथ मिलकर इस विचार पर काम किया। उन्होंने प्रत्येक छात्र से एक सप्ताह में प्लास्टिक की कम से कम 25 वस्तुएं लाने का आग्रह किया। फाउंडेशन यद्यपि एक चैरिटी है और डोनेशन से चलता है, लेकिन उनका कहना है कि प्लास्टिक के कचरे की ‘फीस’ सामुदायिक स्वामित्वक की भावना को प्रोत्साहित करती है।