
पर्यावरण को संरक्षित रखने के लिए विश्व पर्यावरण दिवस के रुप में मनाया जाता है, बच्चों ने प्रकृति और मानव संबंधों के बीच सहयोग की लोगों से अपील की। बच्चों ने पर्यावरण से संबंधित पेंटिंग प्रतियोगिता में लिया हिस्सा। पेंटिंग के माध्यम से लोगों को किया जागरुक। प्रतियोगिता के उपरांत थ्री थियटेर में ली जानकारी। बच्चों को प्रकृति के प्रति किया गया जागरुक
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पटना के चिड़ियाखाना में किलकारी तथा अन्य स्कूली बच्चों के द्वारा यहां घूमने आने वाले लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरुकता अभियान चलाया गया। साथ ही पेंटिंग प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। प्रतियोगिता में सफल बच्चों को 5 जून को सम्मानित किया जाएगा। इस मौके पर बच्चे तख्तियों पर पर्यावरण की रक्षा से संबंधित तस्वीरें बनाकर लोगों को संरक्षित करने के लिए अपील कर रहे हैं। इनका कहना है कि हमें अभी भी वक्त है संभलना होगा सचेत रहना होगा तभी हम समाज और अपने पर्यावरण को सुरक्षित रख पाएंगे और जब पर्यावरण सुरक्षित रहेगा तो हमारा जीवन भी सुरक्षित एवं संरक्षित रहेगा। इस मौके पर फराह हयात ने कहा कि हमें बचपन से ही इसके प्रति जागरुक किया जा रहा है इसलिए हम अपने बड़े लोगों को भी इसके प्रति जागरुक करने के लिए इस अभियान में शामिल हुई हूं। विश्व पर्यावरण दिवस की शुरुआत प्रकृति और मानव संबंधों के बीच सहयोगी और समर्पित भाव के रूप में हुई थी। इस दिन को मनाने के पीछे प्रकृति और पर्यावरण के बीच वृहद मनुष्य समाज के संबंध रहे हैं। इनमें प्रकृति के प्रति चिंता और उसके सरंक्षण की भावना होती है। विश्व में लगातार बढ़ते प्रदूषण और बढ़ती ग्लोबलवार्मिंग की चिंताओं के चलते विश्व पर्यावरण दिवस की शुरुआत की गई।
संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित यह दिवस पर्यावरण के प्रति वैश्विक स्तर पर राजनैतिक और सामाजिक जागृति लाने के लिए मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 1972 में 5 जून से 16 जून तक संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा आयोजित विश्व पर्यावरण सम्मेलन से हुई। 5 जून 1973 को पहला विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। पर्यावरण के जैविक संघटकों में सूक्ष्म जीवाणु से लेकर कीड़े-मकोड़े, सभी जीव-जंतु और पेड़-पौधों के अलावा उनसे जुड़ी सारी जैव क्रियाएं और प्रक्रियाएं भी शामिल हैं। जबकि पर्यावरण के अजैविक संघटकों में निर्जीव तत्व और उनसे जुड़ी प्रक्रियाएं आती हैं, जैसे: पर्वत, चट्टानें, नदी, हवा और जलवायु के तत्व इत्यादि। सामान्य अर्थों में यह हमारे जीवन को प्रभावित करने वाले सभी जैविक और अजैविक तत्वों, तथ्यों, प्रक्रियाओं और घटनाओं से मिलकर बनी इकाई है। यह हमारे चारों ओर व्याप्त है और हमारे जीवन की प्रत्येक घटना इसी पर निर्भर करती और संपादित होती हैं। मनुष्यों द्वारा की जाने वाली समस्त क्रियाएं पर्यावरण को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती हैं।
मानव हस्तक्षेप के आधार पर पर्यावरण को दो भागों में बांटा जा सकता है, जिसमें पहला है प्राकृतिक या नैसर्गिक पर्यावरण और मानव निर्मित पर्यावरण। यह विभाजन प्राकृतिक प्रक्रियाओं और दशाओं में मानव हस्तक्षेप की मात्रा की अधिकता और न्यूनता के अनुसार है। पर्यावरणीय समस्याएं जैसे प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन इत्यादि मनुष्य को अपनी जीवनशैली के बारे में पुनर्विचार के लिये प्रेरित कर रही हैं और अब पर्यावरण संरक्षण और पर्यावरण प्रबंधन की आवश्यकता महत्वपूर्ण है।