
बिहार ब्रेकिंग

बिहार भाजपा कैंपेनिंग से ज्यादा डैमेज कंट्रोल में लगी है, लगातार पार्टी के अंदर कलह बढ़ता जा रहा है। बिहार भाजपा में लगातार घमासान मची हुई है औऱ इसके केंद्र में बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी और प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय। चौंकिए मत जनाब ये मैं नहीं कहा बल्कि भाजपा के अंदर खाने से ही खबर आ रही है। तभी तो चुनाव के ऐन मौके पर डैमेज कंट्रोल में लगी हुई है बिहार भाजपा।
कलह की वजह
चुनाव में टिकट बना मुख्य वजह
बिहार भाजपा में शुरु होती है आपसी विवाद लोकसभा चुनाव में टिकट को लेकर। बिहार भाजपा अपने ही अंदर चल रही राजनीति से परेशान चल रही है। एक तरफ भाजपा ने कहा था कि किसी भी केंद्रीय मंत्री और सांसद का जगह नहीं बदलेगा। लेकिन गिरिराज सिंह के सीट को नवादा से काटकर बेगूसराय भेज दिया गया। पहले तो गिरिराज सिंह काफी बौखलाए मगर उस पर डैमेज कंट्रोल के बाद वो शांत पड़ गए। दूसरी तरफ भागलपुर में पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन के नाम की चर्चा जोरों पर हुई। लेकिन ऐन मौके पर उन्हें भी बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। तो सिवान से नाराज विधान पार्षद सच्चिदानंद राय़ को पहले से आश्वासन के घुंट पिलाए जा रहे थे मगर उनको भी वैल्यू नहीं देने का नतीजा वो बागी हो गए और भाजपा उनको मनाने में लगी हुई है।
वाल्मिकीनगर अपने आप में चर्चा का विषय रहने वाला लोकसभा क्षेत्र है। यहां से सतीश दुबे लगातार जीत दर्ज कराते रहे हैं। लेकिन जदयू के खेमे में सीट जाने की वजह से इनको पार्टी ने चुप्पी साध ली। नतीजा अब ये बागी होकर चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी में हैं। पटना साहिब सीट पर शत्रुघ्न सिन्हा खुद को सीट पर बात नहीं बनते देख कांग्रेस के हो गए और यहां से कांग्रेस के प्रत्याशी बना दिए गए। लेकिन भाजपा उनकी जगह को भरने के लिए पहले से चर्चा में थे जमीनी नेता और राज्यसभा सांसद आर के सिन्हा, इनके गुणगान में भाजपा लगी हुई थी, लेकिन आखिरी दौर में आर के सिन्हा की जगह केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को मैदान में उतार दिया। इस तरह अचानक से आर के सिन्हा के नाम की जगह रविशंकर को लाकर प्रदेश राजनीति खुद पर ही सवाल खड़ा कर लिया है।
इतना ही नहीं इधर सीतामढ़ी जदयू की झोली में चली गई। इस सीट से जदयू ने डॉ.वरुण कुमार के नाम की घोषणा कर दिया। लेकिन अचानक से भाजपा नेता सह पूर्व मंत्री सुनील कुमार पिंटू को भाजपा से रिजाईन करवाकर जदयू ज्वाइन करवाया गया और आनन-फानन भाजपा के कैंडिडेट बना दिया गया। जो भाजपा के प्रदेश ईकाई पर एक बार फिर से सवाल खड़ा करता है, आखिर इस पर भाजपा ने चुप्पी क्यों साध ली। साथ ही भाजपा ने पार्टी से नाराज चल रहे नेता मृत्युंजय झा को उपाध्यक्ष बनाये जाने का एलान किया है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय ने उन्हें उपाध्यक्ष बनाए जाने का एलान किया। आपको ज्ञात हो कि मृत्युंजय झा पार्टी के मेहनतकश सशक्त कार्यकर्ता के रुप में जाने जाते हैं।
बिहार भाजपा की यह एक बानगी है। अब ऐसे में और भी कई त्रुटियां नजर आ जाएंगी भाजपा में जो उसके लिए समस्या खड़ी कर रही है। राजनीतिक पंडितों की मानें तो बिहार भाजपा में अगड़ा विरोधी राजनीति चल रही है। आखिर इन लोेगों के बूते बिहार भाजपा बिहार में एनडीए की सीट जीतना चाहती है या पूरा समय डैमेज कंट्रोल में ही व्यतीत करने में समय गुजार देगी। यह बिहार एनडीए के लिए शुभ का संकेत नहीं नजर आ रहा है।