
बिहार ब्रेकिंग-सुमित कुमार-बेगूसराय

व्यवहार न्यायालय को तेघड़ा में लाने में यहां के लोगों की अहम भूमिका है। इसको किसी भी कीमत पर यहां से जाने नहीं दिया जाएगा। इसके लिये जो भी करना पड़े मंजूर है। उक्त बातें धरना में आये लोगों ने दोहराया। सोमवार को अनुमंडल कार्यालय के समक्ष धरना प्रदर्शन करते हुये लोगों ने कहा कि लगभग 27 वर्षों से अनुमंडल न्यायालय यहां है। लेकिन अधिकारियों और बिचौलियों के मिलीभगत से इसे तेघड़ा के लोगों से छीनने का प्रयास किया जा रहा है। धरना की अध्यक्षता प्रमोद कुमार सिंह और मिथिलेश सिंह ने संयुक्त रुप से किया। तेघड़ा, बछवाड़ा, मंसूरचक और भगवानपुर के दर्जनों लोग धरना मैं शामिल रहे। अनुमंडल अधिवक्ता संध के अध्यक्ष रामप्रवेश सिंह ने कहा कि अनुमंडल मुख्यालय रहने के बावजूद अधिकारी और बिचौलियों के मिलीभगत से व्यवहार न्यायालय को यहां से दुलरुआ धाम ले जाना अनुचित है।
किसान नेता दिनेश सिंह ने कहा कि इसी परिसर में अधिकतर सरकारी विभाग है और इस परिसर में व्यवहार न्यायालय भवन निर्माण के लिये पर्याप्त जमीन मौजूद है लेकिन अधिकारियों की अदूरदर्शिता के कारण इसे अन्यत्र ले जाने का प्रस्ताव दिया गया। तेघड़ा नगर पंचायत के वार्ड पार्षद भूषण सिंह ने कहा कि यहां से व्यवहार न्यायालय को ले जाना तेघड़ा के लोगों के साथ छलावा है। प्रखण्ड वार्ड संध के गिरीश कुमार राय ने कहा कि व्यवहार न्यायालय के आने से आसपास के लोगों को एक उम्मीद जगी थी लेकिन अब यह उम्मीद खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है। आम आदमी पार्टी के विजय कुमार चौधरी ने कहा कि न्याय पाने के लिए दुलरुआ धाम जाने में लोगों को भारी फजीहत झेलनी पड़ती है। धरना का संचालन कर रहे अधिवक्ता शशिभूषण भारद्वाज ने कहा कि सरकार द्वारा लोगों को सस्ता और सुलभ न्याय दिलाने के उद्देश्य से तेघड़ा अनुमंडल में व्यवहार न्यायालय की स्थापना की गयी। लेकिन अधिकारियों और बिचौलियों के द्वारा साजिश की जा रही है। सीपीएम के रामचन्द्र गुप्ता ने कहा कि सरकारी अधिकारी द्वारा गरीब लोगों को न्याय से वंचित करने के लिए इसे यहां से हटाया जा रहा है। भाजपा नेता कृष्णनंदन सिंह ने कहा कि कि यह तेघड़ा के स्मिता और गरिमा का प्रश्न है। अमिय कश्यप ने कहा कि तेघड़ा के सर्वांगीण विकास को खत्म करने की साजिश की जा रही है।धरना में अधिवक्ता अशोक कुमार सिंह, बालेश्वर राय, वार्ड पार्षद कन्हैया कुमार सिंह, कामिनी कुमारी, साक्षरता कर्मी अशोक कुमार, मानवाधिकार कार्यकर्ता अमरनाथ सिंह, आरटीआई कार्यकर्ता राम पदारथ ठाकुर, उपभोक्ता संरक्षण समिति के महेन्द्र शर्मा डॉ0 मो0 शाहिद अकबरी, सुरेन्द्र कुमार महतो आदि लोगों ने भी अपनी बात रखी।