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बिहार के सियासी मुहल्ले से एक खबर आ रही है कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के संस्थापक राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतनराम मांझी महागठबंधन में सीट बंटवारे से नाखुश चल रहे हैं। उन्होंने पहले भी सबको चेतवानी दे चुके हैं कि उनकी पार्टी को छोटी और कमजोर न समझें। हालांकि उनके या उनकी पार्टी के तरफ से कोई सीधी प्रतिक्रिया तो नहीं आई है लेकिन पार्टी नेता वृषण पटेल कह चुके हैं कि अगर सीटों का बंटवारा सम्मानजनक नहीं रहा तो हम लोकसभा चुनाव ही नहीं लड़ेंगे।
जीतनराम मांझी ने हाल ही में अपने एक बयान से सियासी गलियारों में एक बार फिर से हलचल बढ़ा दिया है। उन्होंने कहा है कि अगर विधानसभा चुनाव में अनुसूचित जाति से 70 विधायक चुने जाते हैं तो फिर मुख्यमंत्री भी इसी जाति का होगा। विदित हो कि महागठबंधन में सीट बंटवारे के समीकरण से जीतनराम पहले ही नाराज चल रहे हैं औऱ बहुत जल्द लालू यादव से भी मिलने वाले हैं। उनके इस बयान से जाहिर तौर पर महागठबंधन के बड़े नेताओं पर दबाव बन गया होगा।
इधर जीतनराम मांझी के अनुसूचित जाति के किसी नेता के मुख्यमंत्री बनने के बयान पर बीजेपी ने भी तंज कसा है और बीजेपी नेता प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि इन्हें अपनी जाति या वर्ग से कोई लेना-देना नहीं, इन्हें तो सिर्फ अपने परिवार की चिंता है।