
पदमाकर सिंह लाला,

समस्तीपुर : हरैल गांव में बुधवार को ऐसा खुशगवार नजारा दिखाई पड़ा, जिसमें बुजुर्गों की आंखें छलछला आयीं। नौजवानों का उत्साह चरम पर था। दो सौ साल बाद 12 गांवों के लोग एक पंगत में बैठे। मोहनपुर व मोहिउद्दीननगर प्रखंड के 11 गांवों के लोग सीमावर्ती हरैल गांव के लोगों के साथ भोज खाने बैठे।
हरैल समेत रसलपुर, जौनापुर, मटिऔर, चापर, आनंद गोलवा, राजपुर, धर्मपुर, बेरी, सरहद, दमकिपर और दुबहा गांवों में बालागछीय चौहान क्षत्रिय समाज के लोग बसे हैं, परन्तु किसी विवाद की वजह से पिछले दो सौ साल से हरैल के साथ अन्य 11 गांवों का भोज-भात बंद था। एक तरफ हरैल के लोग और दूसरी तरफ शेष 11 गांवों के लोग हो गए थे। समाज दो फांक हो गया था। लाख कोशिशों के बावजूद गोतिया की भाईबंदी शुरू नहीं हो पा रही थी। संगीत सुरों को जोड़ता है : हरैल निवासी लब्ध प्रतिष्ठित संगीतज्ञ प्रह्लाद सिंह इस दुनिया से जाते-जाते अपने समाज को जोड़ गए। आसपास के गांवों के लोग प्रह्लाद सिंह की संगीत कला के दीवाने थे। उनके श्राद्ध के भोज में हरैल गांव के साथ 11 गांवों के लोगों को बैठाने की कोशिश पिछले 10 दिनों से चल रही थी। प्रह्लाद सिंह के पुत्रों संतोष व संतन ने 12 गांवों को फिर से जोड़ने का प्रयास किया। महामिलन में भाई से भाई मिलकर गले लगे तो आंखों में खुशी के आंसू छलक उठे। गांवों को जोड़ने की कई कोशिशें हुईं. मोहिउद्दीननगर के पूर्व विधायक कपिलदेव नारायण सिंह ने समाज को एक करने का प्रयास किया था। स्थानीय क्षत्रिय चेतना मंच की ओर से भी लगातार वर्षों से इस दिशा में प्रयास होता रहा। दिलों को जोड़ने का प्रयास बुधवार को तब सफल हुआ, जब समाज के हितचिंतकों का एक बड़ा समूह इस दिशा में अग्रसर हुआ। इस कार्य में समाजसेवी सत्येन्द्र नारायण सिंह, उमाशंकर सिंह, राजकपूर सिंह, गणेश सिंह, भाई रणधीर, अरुण कुमार सिंह, मुन्ना सिंह, श्रवण सिंह, चन्द्रभूषण सिंह, सुरेश्वर सिंह, रामदयाल सिंह, अतेन्द्र सिंह, डॉ. भूषण आदि का योगदान महत्वपूर्ण रहा।
विधान पार्षद राणा गंगेश्वर प्रसाद सिंह ने बताया कि12 गांवों में सैकड़ों वर्ष से रह रहे एक ही चौहान वंश क्षत्रियों का यह महामिलन ऐतिहासिक और क्षेत्र की सामाजिक व राजनीतिक महत्व का है। मैं इससे इतना प्रसन्न हूं कि कुछ कहा नहीं जा सकता।