
बिहार ब्रेकिंगः बिहार में शराबबंदी को लेकर अक्सर सवाल उठते हैं। सवाल विपक्षी पार्टियां भी उठाती हैं और आमलोग भी उठाते हैं। सवाल शराबबंदी के फायदे को लेकर उठते हैं, शराबबंदी के बावजूद शराब तस्करी को लेकर उठते हैं लेकिन जो आंकड़े सामने आए हैं एक तरह से सरकार की पीठ थपथपाने वाले आंकड़े हैं। न्यूज बेवसाइट ‘प्रभात खबर’ पर छपी रिपोर्ट की मानें तो शराबबंदी के बाद महिला पर हिंसा 54 प्रतिशत से घटकर 5 प्रतिशत तक आ गयी है। यानि महिलाओं के लिए शराबबंदी वरदान साबित हुई है। सीएम नीतीश कुमार ने शराबबंदी लागू करने की जो वजह बतायी वो यह बतायी थी कि महिलाओं की मांग थी कि बिहार में शराबबंदी होनी चाहिए। जाहिर है महिलाओं की मांग पर लागू हुई शराबबंदी के सकारात्मक परिणाम आने शुरू हो गये हैं। रिपोर्ट के मुताबिक नीतीश सरकार की शराबबंदी ने प्रदेश के घरों में खुशियां बिखेरी हैं. पहले शराब के कारण सबसे ज्यादा महिलाएं हिंसा की शिकार होती थीं, लेकिन अब तस्वीर बदल गयी है. महिलाओं की घर-गृहस्थी में अब शांति आयी है. शराबबंदी से पहले 54 प्रतिशत महिलाएं घरेलू हिंसा की शिकार होती थीं. सख्ती से शराब पर पाबंदी लगी तो यह आंकड़ा कम होकर सिर्फ पांच प्रतिशत रह गया. अब गांवों में शांति कायम है.घरों के अंदर, सार्वजनिक स्थानों, सामाजिक उत्सवों और त्योहारों के दौरान हिंसा में कमी आयी है. महिला विकास निगम के डाटा रिसोर्स सेंटर के अध्ययन में ये तथ्य सामने आये हैं. दरअसल, डाटा रिसोर्स सेंटर की टीम ने प्रदेश के पांच जिलों में शराबबंदी का ग्रामीण महिलाओं और लड़कियों की स्थिति पर प्रभाव के आकलन के लिए अध्ययन किया है. इस दौरान 2368 लोगों से बातचीत की गयी.

शराब की बिक्री और सेवन पर पूर्ण निषेध का ग्रामीण महिलाओं और लड़कियों की स्थिति पर प्रभाव का आकलन महिला विकास निगम के जेंडर रिसोर्स सेंटर ने किया है. इसके लिए प्रदेश को भौगोलिक दृष्टि से पांच हिस्सों में बांटा गया. पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण और मध्य और जिलों का चुनाव आर्थिक रूप से भिन्नता के आधार पर किया गया. नवादा, पूर्णिया, समस्तीपुर, पश्चिम चंपारण (बेतिया) और कैमूर का चयन किया गया. इन जिलों में 1001 महिलाओं के साथ 26 केंद्रित समूह चर्चा, 242 पुरुषों के साथ 20 केंद्रित समूह चर्चा और 647 किशोरवय लड़कियों के साथ 10 केंद्रित समूह चर्चा की गयी. 306 महिलाओं से व्यक्तिगत रूप से बातचीत की गयी.ये ऐसी महिलाएं थीं, जिनके घर में शराबबंदी से पहले पुरुष शराब का सेवन करते थे.
इसके अलावा पुलिस थाने, महिला पुलिस थाने, महिला हेल्पलाइन, नशामुक्ति केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, बैंक, अनाज की दुकानें तथा राजस्व विभाग जैसे महत्वपूर्ण सेक्टर के साथ जिला एवं प्रखंड स्तर पर चर्चाएं हुईं. शराबबंदी के बाद सामाज में आये बदलाव की हकीकत तब जाकर सामने आयी. जेंडर रिसोर्स सेंटर की रिपोर्ट की मानें तो 99 फीसदी महिलाएं शराबबंदी के बाद खुश हैं. वे शराबबंदी का जोरदार तरीके से समर्थन भी करती हैं. महिलाएं ही नहीं, लड़कियों, बच्चों के खिलाफ होने वाले हिंसा में भी अप्रत्याशित कमी आयी है.