
आज बिहार के 1.52लाख D. P.E.(D iploma in primary education) प्रशिक्षित नियोजित शिक्षकों को उनके रिजल्ट की तिथि से प्रशिक्षित का लाभ मिलने का रास्ता साफ हो गया है। इस सम्बंध में राज्य सरकार उनके संबर्धन की तिथि से प्रशिक्षित का लाभ दे रही थी।जिसके खिलाफ परिवर्तनकारी शिक्षक संघ एवम अन्य शिक्षकों ने भी पटना हाइकोर्ट में याचिका डाली थी हाइकोर्ट ने शिक्षकों के पक्ष में फैसला दिया था जिसके खिलाफ बिहार सरकार slp लेकर सुप्रीम कोर्ट चली गई थी।

मामले की जानकारी देते हुए परिवर्तनकारी शिक्षक संघ के महासचिव आनंद मिश्रा ने बताया कि 1.52 लाख नियोजित शिक्षक के सत्र 2007-09,2008-10,2009-11एवं2010-12 के दौरान dpe का प्रशिक्षण ignou के माध्यम से दिया गया। उक्त सत्र की क्रमशः परीक्षा जून-2009,जून-2010,जून-2011,जून-2012 में ली गई और उन्ही वर्षो में उन्हें dpe प्रशिक्षित का प्रमाणपत्र भी दिया गया। किंतु सरकार ने 2011 में आदेश जारी कर दिया था कि 6 महीने के संबर्धन कोर्स के बाद ही उन्हें प्रशिक्षित मानने का आदेश होगा । इस मामले में पटना हाइकोर्ट ने सितम्बर 2016 में ही शिक्षकों के पक्ष में फैसला दिया था जिसके खिलाफ सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी।
आज सुप्रिमकोर्ट में इस मामले की सुनवाई में दिल्ली हाइकोर्ट केरिटायर जस्टिश कृष्णमूर्ति राममूर्ति ने बहस करते हुए कहा कि 2016 के हाइकोर्ट के फैसले के खिलाफ 2 साल बाद सुप्रीम कोर्ट आना असंवैधानिक है। जिसके बाद न्यायमुर्ति संजय किशन कौल एवम दीपक गुप्ता ने राज्य सरकार की slp को खारिज करते हुए पटना हाइकोर्ट के निर्णय पर मुहर लगा दिया।