वंदना करने से मनुष्य के मन की मलिनता दूर होती है। वंदना करने पर निर्भयता का आशीष मिलता है। किसी को जब आप कर रहे हैं तो उस कार्य में आपका मन तो लगा हीं रहता है लेकिन जिन्हेंआप प्रणाम करते हैं उनका भी मन आपके कार्य में संलग्न हो जाता है। जिससे दोनों के मनोयोग क्षरा किया गया कार्य की सम्पन्नता शीघ्रता से होकर पूर्णता को प्राप्त करता है। भगवान रामजी के वल्यवस्था का वर्णन तुलसी दास जी महाराज ने किया। उन्होंने कहाः-

प्रातः काल उठके रघुनाथा!
मातृपिता गुरू नाथहिं माथा।।
प्रातः काल उठकर माता-पिता और गुरू तथा अन्य बड़े लोगों की वंदना करते थे। जिसका फल यह हुआ बालक राम वानवासी राम बनते हुए, राजा राम बन गयें और अन्त में भगवान श्री राम बन गये।