-आनंद कौशल, प्रधान संपादक-बिहार ब्रेकिंग
बदहाली और विकास के बीच की खाई को पाटने का काम करती हैं सड़कंे। सड़कें विकास को लेकर सरकार की सजगता और उसकी गंभीरता को भी बयां करती है। गांव से शरह के बीच के रास्ते जितने सुगम होते हैं उतना हीं सरल होता है विकास के प्रति सरकार के संकल्प को समझ पाना। सड़कें राज्य के विकास की वस्तुस्थिति का आइना होती हैं। शहरों में सडकों का जाल भले ही बिछा हो मगर गाँव गाँव तक पहुँच और संपर्क की सड़कें अगर नहीं हैं या दुरुस्त नहीं हैं तो समुचित विकास की बात बेमानी हो जाती है। मुख्यमंत्री ग्राम संपर्क सड़क योजना के तहत सरकार द्वारा हर गाँव और टोलों को जोड़ने का हरसंभव प्रयास किया जा रहा है।
सडकों का निर्माण जितना आवश्यक है उतना ही आवश्यक है समय समय पर सडकों की मरम्मती। अक्सर मरम्मत के आभाव में सड़कें दिन पर दिन खराब होती जाती हैं और समय से पहले ही नष्ट होकर काम लायक नहीं रह जाती हैं। ग्रामीण सडकों की मरम्मती के सरकार द्वार नई मेंटेनेंस पालिसी लायी गयी है। सरकार ने सभी वर्गों की सडकों की मरम्मत का निर्णय लिया है इसके लिए सभी डिविजन से मरम्मत होने वाली सडकों की सूची मंगाई गयी है जो बहुत जल्द ही सरकार को उपलब्ध हो जाएगी। सूची उपलब्ध होने के बाद प्राथमिकता के आधार पर निर्माण कार्य का टेंडर निकलेगा जो कि एक पैकेज के रूप में रहेगा और अगले वर्ष से मरम्मती का कार्य शुरू हो जायेगा।
नई मेंटेनेंस नीति के तहत ग्रामीण सडकों की मरम्मत तीन फेज में होगी। प्रथम फेज में वैसी सडकों को प्राथमिकता दी जाएगी जो 7 साल से ज्यादा पुरानी हो गयी हैं। इसके बाद वैसी सडकों की मरम्मत की जाएगी जो 5 से 7 साल पुरानी हैं तथा सबसे अंत में वैसी सडकों की मरम्मत होगी जो पांच साल से कम पुरानी हैं।
एक किलोमीटर सड़क के मेंटेनेंस पर 35-40 लाख रूपये खर्च होंगे वहीँ एक किलोमीटर सड़क के निर्माण पर 70 से 75 लाख रूपये खर्च होंगे। पूरे राज्य में 36 हजार पुरानी सडकों की मरम्मत की योजना है द्य प्रारंभ में सडकों की मरम्मत पर प्रति वर्ष 4 हजार करोड़ रूपये खर्च होंगे लेकिन बाद में यह राशि घट कर 3 हजार करोड़ रूपये हो जाएगी।
नई पालिसी के अनुसार सड़क निर्माण से लेकर ठेकेदार पांच वर्षों तक सडकों की मरम्मत करेंगे इसके बाद पांच साल के लिए नई मेंटेनेंस नीति के तहत सड़कों की मरम्मत होगी द्य नई मेंटेनेंस पालिसी में मरम्मत कार्य के लिए सडकों का कोई वर्गीकरण नहीं किया गया है और सभी सडकों को एक वर्ग में रखा गया है।
पहले सडकों के निर्माण पर 10 हजार करोड़ खर्च होता था और मेंटेनेंस पर मात्र 700 करोड़ रूपये का ही बजट रहता था जिसकी वजह से सभी सडकों की मरम्मत नहीं हो पाती थी। इसी समस्या के समाधान के लिए सरकार ने मेंटेनेंस पालिसी में बदलाव करते हुए ये प्रावधान किया है कि अब सडकों के निर्माण पर 7 हजार करोड़ रूपये और मेंटेनेंस पर 4 हजार करोड़ रूपये का बजट होगा ताकि सडकों के सुचारू निर्माण के साथ इसकी मरम्मती का काम भी ठीक से हो सके. राज्य में कुल 1.10 लाख किलोमीटर सड़कें हैं जिनमें 74 हजार किलोमीटर सडकों का निर्माण हो चुका है और बाकि बची मार्च तक बन कर तैयार हो जाएंगी।
शहरी क्षेत्रों में राज्य सरकार ने सड़कों के रख रखाव लम्बे समय तक सुचारू और सुदृढ़ रखने के लिए एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। रोड एसेट्स मेंटेनेंस कॉन्ट्रैक्ट पालिसी के अंतर्गत कुल 13062 किलोमीटर लम्बाई की 1435 सडकों को इस कॉन्ट्रैक्ट के अंदर शामिल किया गया है। इन सडकों के रख रखाव की जिम्मेदारी चयनित ठेकेदारों को दी जाएगी जिन्हें 7 साल तक इन सडकों का रख रखाव अन्तराष्ट्रीय मानक के अनुरूप करना है।
इस रख रखाव के के लिए प्रति किलोमीटर अनुमानित राशि 7 लाख तय की गई है। इसके लिए सरकार ने 6654 करोड़ रूपये की राशि स्वीकृत की है द्य इस योजना में सड़क सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया है। सड़क के रख रखाव और मेंटेनेंस कार्य की प्रगति और गुणवत्ता पर आधुनिक तकनीक से आईटी आधारित प्रणाली द्वारा प्रतिदिन निरंतर नजर रखी जाएगी जिससे काम में कोई कोताही न हो सके। सडकों की मरम्मती और रख रखाव के लिए सरकार द्वारा जो नई मेंटेनेन्स नीति लायी गई है, जमीन पर इसके सुचारू ,पारदर्शी और प्रभावशाली क्रियान्वयन से, निश्चित रूप से ग्रामीण सड़कों की व्यवस्था दुरुस्त और सुदृढ़ होंगी। दरअसल सरकार ने सड़कों के माध्यम से विकास का एक ऐसा सुगम और सुदृढ़ रास्ता तैयार किया है जिस पर चल कर बिहार विकास के उस लक्ष्य को पार करेगा जो बिहार की जरूरत है, सरकार का संकल्प है और आवाम की उम्मीद है।
