
बिहार ब्रेकिंगः 2019 के चुनाव से पहले राजनीतिक दलों के सामने जो सबसे बड़ी चुनौती है वो यह है कि अपने राजनीतिक खेमे के सहयोगियों के साथ सीटों और उसकी संख्या को लेकर सहमति बने। सियासत में महत्वकांक्षाओं के आगे हर रिश्ता कुर्बान हो जाता है। इसलिए अक्सर चुनावी मौसम में सियासी दलों के बीच बनते-बिगड़ते रिश्ते सियासत में गर्माहट पैदा करते हैं। बिहार में यह गर्माहट ज्यादा है क्योंकि एनडीए के अंदर सीटों को लेकर पेंच अब भी फंसा हुआ है। हांलाकि जदयू और बीजेपी के बीच मामला बिल्कुल फिट हो गया है। बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह ने साफ कर दिया है कि बीजेपी और जेडीयू बराबर सीटों पर लड़ेगी।

इस एलान के बाद यह साफ हुआ है कि जदयू और बीजेपी के बीच सीटों को लेकर अब कोई विवाद नहीं रहा लेकिन एनडीए के दो सहयोगी दल और भी हैं जो अभी खामोश हैं और यह अंदेशा है कि कहीं मौका मिलते हीं ये दोनों दल तूफान न ला दें। एनडीए में नीतीश कुमार को जो तरजीह दी जा रही है वो भी लोजपा और रालोसपा जैसे दलों को नागवार गुजर रहा है। बीजेपी ने सीटों की संख्या का एलान नहीं किया है कि वो अपने घटक दलों को कितनी सीटें देगी लेकिन बीजेपी के इस एलान के बाद कि जदयू-बीजेपी बराबर सीटों पर चुनाव लड़ेगी यह तय हो गया है कि जदयू, लोजपा और रालोसपा के खातें में जो सीटें आएंगी उसकी संख्या में फासला बड़ा होगा। जाहिर है जदयू की सीटें लोजपा और रालोसपा से बहुत ज्यादा होगी। कोई आधिकारिक एलान नहीं है सीटों की संख्या को लेकर लेकिन कयास है कि जदयू और बीजेपी 16-16 सीटों पर लड़ेगी। जबकि लोजपा को 3 से चार सीटें और उपेन्द्र कुशवाहा को 2 से तीन सीटें मिलेगी। जाहिर है एनडीए में रार बढ़ रही है। उपेन्द्र कुशवाहा और रामविलास पासवान यह संकेत देते रहे हैं कि सीटों को लेकर उनके साथ बीजेपी का जो सलूक है वो उन्हें नागवार गुजर रहा है। लोजपा संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष चिराग पासवान भी कई बार संकेत देते रहे हैं। बिहार में लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस भी अपने बयानों के जरिए यह साफ करते रहे हैं कि सीटों की वो संख्या उन्हें मंजूर नहीं है जो कथित रूप से बीजेपी ने उनके लिए तय की है। बीजेपी की मुश्किल अब यह है कि उसने यह एलान कर दिया है कि जदयू-और बीजेपी बराबर-बराबर सीटों पर चुनाव लड़ेगी जाहिर है बिहार में सीटों की सियासी हिस्सेदारी में जदयू-बीजेपी के बाद जो बचेगा वही रालोसपा और लोजपा को मिलेगा। बीजेपी कोई बहुत बड़ा त्याग करेगी यह भी फिलहाल नहीं दिखता। ऐसा कहा जा सकता है कि बीजेपी ने लोजपा और रालोसपा के पाले में हीं गेंद डाल दी है। अब या तो वे बीजेपी के हिसाब से सीटें लें और एनडीए में बने रहें या फिर किसी नये राजनीतिक खेमें का रूख करें।