
सुभारती विश्वविद्यालय में फिल्म निर्माण कार्यशाला का आयोजन, छात्रों ने सीखे सिनेमा के गुर
मेरठ: स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में “फिल्म निर्माण की मूल बातें” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में फिल्म उद्योग के प्रतिष्ठित निर्देशक और लेखक अखिलेश वर्मा ने मुख्य प्रशिक्षक की भूमिका निभाई। इस कार्यशाला का शुभारंभ परंपरागत रूप से मुख्य अतिथि अखिलेश वर्मा, पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो (डॉ) रितेश चौधरी, डॉ प्रीति सिंह, राम प्रकाश तिवारी एवं तरूण जैन ने दीप प्रज्वलित कर किया। इसके बाद, विभागाध्यक्ष प्रो (डॉ) रितेश चौधरी, डॉ प्रीति सिंह और अन्य संकाय सदस्यों ने मुख्य वक्ता अखिलेश वर्मा को पादप देकर सम्मानित किया।

कार्यशाला की संयोजिका डॉ प्रीति सिंह ने मुख्य अतिथि का परिचय देते हुए उनका अभिनंदन किया एवं कार्यशाला के महत्व पर प्रकाश डाला। अपने स्वागत संबोधन में डॉ सिंह ने कहा कि यह कार्यशाला विद्यार्थियों के लिए बहुत ही लाभदायक होगी और इसमें प्रतिभागिता कर रहे विद्यार्थियों को निश्चित रूप से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। विभागाध्यक्ष डॉ रितेश चौधरी ने अपने संबोधन में कहा कि विभाग के द्वारा इस प्रकार की कार्यशालाओं का आयोजन न केवल विभाग के छात्रों के लिए वरन विश्वविद्यालय के सभी विद्यार्थियों के लिए किया जाता है।
यह कार्यशाला भी पूर्व में आयोजित कार्यशालाओं की तरह ही हमारे विद्यार्थियों को लाभान्वित करेगी एवं उन्हें फिल्म निर्माण में भविष्य बनाने के लिए बहुमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करेगी। उन्होंने आगे कहा कि विभाग द्वारा आयोजित यह कार्यशाला मुख्य रूप से छात्रों को सिनेमा की आकर्षक दुनिया से परिचित कराने और फिल्म निर्माण की बारीकियों को समझाने के लिए है, जिससे कि वे इस क्षेत्र में अपने करियर की राह बना सकें।
कार्यशाला में अपने सत्र की शुरुआत करते हुए, मुख्य वक्ता अखिलेश वर्मा ने फिल्म निर्माण के विभिन्न चरणों प्री-प्रोडक्शन, प्रोडक्शन, पोस्ट-प्रोडक्शन, वितरण और पटकथा लेखन की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि किसी भी फिल्म की नींव “प्री-प्री-प्रोडक्शन” चरण में रखी जाती है, जहां कहानी का मुख्य विचार आकार लेता है। उन्होंने कहानी के अंत को दर्शाने वाले “रिज़ॉल्यूशन” और दिलचस्प कथानक बनाने के लिए “क्या होगा अगर” जैसे महत्वपूर्ण फॉर्मूलों से भी छात्रों को अवगत कराया।
कार्यशाला के दौरान, अखिलेश वर्मा ने अपनी निर्देशित फिल्मों और विज्ञापनों के अंश दिखाकर छात्रों को व्यावहारिक ज्ञान और पर्दे के पीछे की रोचक जानकारियाँ दीं। छात्रों ने भी पूरे उत्साह के साथ उनसे संवाद किया और फ़ॉली एवं ध्वनि प्रभावों जैसे तकनीकी पहलुओं पर प्रश्न पूछे। वर्मा ने अपने संघर्ष की कहानी साझा करते हुए छात्रों को अपने जुनून का पालन करने और फिल्म, समाचार या विज्ञापन निर्माण के क्षेत्र में एकाग्रता से काम करने के लिए प्रेरित किया।
दो भागों में आयोजित इस कार्यशाला का दूसरा सत्र व्यावहारिक अभ्यास पर केंद्रित रहा। इस सत्र में अखिलेश वर्मा ने छात्रों को कैमरे का सही उपयोग, विभिन्न प्रकार के लेंस और कैमरा सेटिंग्स के बारे में सिखाया। उन्होंने अपने द्वारा निर्देशित एक टीज़र और एक लघु फिल्म को भी प्रतिभागियों को दिखाया। इस सत्र में अखिलेश वर्मा के द्वारा विशेष रूप से विभाग के विद्यार्थियों के लिखी गई पटकथा पर एक लघु फिल्म के फिल्मांकन का स्व अभ्यास छात्रों को करने का अवसर दिया गया।
कार्यशाला के समापन पर, छात्र फिल्म निर्माण की प्रक्रिया एक विचार से लेकर उसे पर्दे पर उतारने तक को लेकर पहले से कहीं अधिक स्पष्ट और आत्मविश्वासी दिखे। यह कार्यशाला मीडिया और मनोरंजन उद्योग में करियर बनाने के इच्छुक छात्रों के लिए एक प्रेरणादायक अनुभव साबित हुई। इस कार्यशाला का संयोजन पत्रकारिता विभाग की सहायक आचार्य डॉ. प्रीति सिंह के द्वारा किया गया तथा उद्घाटन सत्र का संचालन बीएजेएमसी की तृतीय वर्ष की छात्रा मनीषा कुमारी के द्वारा किया गया। इस कार्यशाला में विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायों के विद्यार्थियों ने पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के विद्यार्थियों के साथ प्रतिभाग किया।