
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना ने बिहार के युवाओं के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाकर एक सशक्त सामाजिक बदलाव की शुरुआत की है। कटिहार के मनीष कुमार मंडल ने गांव से निकलकर राष्ट्रपति भवन तक का सफर तय किया।
कटिहार: कटिहार के एक छोटे से गाँव हसवर की संकरी गलियों और मिट्टी की सौंधी खुशबू से निकलकर जब कोई ग्रामीण युवा, राष्ट्रपति भवन जैसे ऐतिहासिक स्थल तक पहुँचता है, तो वह सिर्फ एक इंसान की सफलता नहीं होती। वह एक योजना की सफलता, एक विचार की जीत और पूरे देश के युवा सपनों की ऊँचाई होती है। 31 वर्षीय मनीष कुमार मंडल, साधारण किसान परिवार से आने वाला एक युवक, आज राष्ट्रपति भवन में मास्टर माली के रूप में कार्यरत है। लेकिन मनीष की यह चमकदार उपलब्धि, संघर्ष, समर्पण और सरकार की एक दूरदर्शी योजना प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) की देन है।

मनीष के पिता शिवलाल मंडल कटिहार जिले के हसवर गाँव में परंपरागत खेती करते थे। सीमित संसाधनों के बावजूद मनीष ने गाँव में रहकर बारहवीं तक की पढ़ाई पूरी की। वर्ष 2021 में मनीष दिल्ली आ गए। 5 जनवरी 2025 को मनीष ने प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) के अंतर्गत “मास्टर माली” का प्रशिक्षण लेना शुरू किया। महज़ 6 दिनों के इस गहन प्रशिक्षण ने मनीष की सोच, समझ और हुनर, तीनों को एक नई दिशा दी। यहाँ उन्होंने सीखा कि मिट्टी की सेहत कैसे जाँची जाती है, मशीनों का कुशल संचालन कैसे किया जाता है, और पौधों की देखभाल किस तरह वैज्ञानिक विधियों से की जा सकती है। साथ ही, उन्हें कीटनाशकों और कवकनाशकों के सुरक्षित व प्रभावी उपयोग की जानकारी भी दी गई। मनीष ने यह भी जाना कि मौसमी पौधों का सही चयन और रोपण कैसे किया जाता है ताकि हरियाली टिकाऊ हो। मनीष के लिए यह केवल प्रशिक्षण नहीं था, बल्कि यह उनके आत्मविश्वास और आत्मसम्मान की नींव बन गया।
प्रशिक्षण पूरा होते ही मनीष की दक्षता को पहचान मिली और उन्हें राष्ट्रपति भवन में मास्टर माली के रूप में कार्य करने का अवसर मिला। आज मनीष राष्ट्रपति भवन में न सिर्फ सुंदरता और हरियाली को सहेजते हैं, बल्कि अपने साथ गाँव के उस सपने को भी जीवित रखते हैं जिसे कभी उन्होंने खेतों में काम करते हुए देखा था। मनीष कहते है कि “पीएमकेवीवाई योजना का मास्टर माली कोर्स मेरे लिए सिर्फ एक प्रशिक्षण नहीं था बल्कि यह मेरे जीवन की नई शुरुआत थी। अब मैं अपने गाँव लौटकर और युवाओं को भी प्रेरित करता हूँ कि वे कौशल विकास से जुड़ें और आत्मनिर्भर बनें।”
यह उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के प्रभाव को और विस्तार देने की दिशा में, यह गौरवपूर्ण क्षण था जब भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने राष्ट्रपति भवन में ‘स्किल इंडिया सेंटर’ का उद्घाटन किया था। कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय के लिए यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है कि जहाँ कौशल विकास अब भारत के सर्वोच्च संस्थानों तक पहुँच चुका है। कौशल विकास एवं उद्यमशीलता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री जयन्त चौधरी का प्रयास है कि स्किलिंग केवल प्रशिक्षण तक सीमित न रहे, बल्कि उसका सीधा संबंध गरिमा, रोज़गार और आत्मनिर्भरता से हो। राष्ट्रपति भवन में स्किल इंडिया सेंटर की स्थापना, इसी सोच का विस्तार है जहाँ सेवा में लगे कर्मचारियों को अपस्किल किया जा रहा है और आसपास के युवाओं को भविष्य के लिए तैयार किया जा रहा है।
आज मनीष राष्ट्रपति भवन में प्रतिमाह लगभग 20,000 रुपए की आय अर्जित कर रहे हैं। लेकिन यह आंकड़ा सिर्फ पैसों की कमाई का नहीं, बल्कि सम्मान, आत्मनिर्भरता और नए भारत के निर्माण में युवाओं की सशक्त भूमिका का प्रतीक है। मनीष की कहानी इस बात की मिसाल है कि प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) सिर्फ़ रोज़गार का ज़रिया नहीं, बल्कि समाज में पहचान दिलाने वाली और सकारात्मक परिवर्तन लाने वाली एक सशक्त सामाजिक क्रांति की शुरुआत है।