
बिहार ब्रेकिंगः बिहार के नियोजित शिक्षकों के ‘समान काम समान वेतन’ की मांग को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। सुनवाई पूरी हो चुकी है और सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है। इस बीच बिहार केे शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन वर्मा नियोजित शिक्षकोें पर दिये एक बयान से सुर्खियों में हैं। शिक्षा मंत्री ने कहा है कि वे चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला नियोजित शिक्षकों के पक्ष में आए। बयान इसलिए भी दिलचस्प लगता है क्योंकि पटना हाईकोर्ट ने नियोजित शिक्षकों के पक्ष में फैसला दिया था लेकिन सरकार इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चली गयी ।

शिक्षा मंत्री के बयान पर नियोजित शिक्षकों ने प्रतिक्रिया दी है। बिहार परिर्वतनकारी शिक्षक संघ के प्रदेश महासचिव आनंद मिश्रा ने ‘बिहार ब्रेकिंग’ से दूरभाष पर बातचीत करते हुए कहा कि सरकार को अब यह अंदेशा हो चला है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला नियोजित शिक्षकों के पक्ष में आएगा इसलिए सरकार बैकफुट पर आ गयी है। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने वाली सरकार अब इस मामले में सहानूभूति बटोरने की कोशिश कर रही है। आनंद मिश्रा ने कहा कि हमें पूरी उम्मीद है कि फैसला हमारे पक्ष में आएगा और नवंबर तक सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अपना फैसला सुना देगी। उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री पहले भी ऐसे बयान दे चुके हैं। उन्होंने बिहार विधानसभा में ऐसा हीं बयान दिया था और फिर सरकार हाईकोर्ट चली गयी। शिक्षा मंत्री ने सदन को भी धोखा दिया है।
क्या कहा शिक्षा मंत्री ने?
बिहार के शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन वर्मा ने कहा है कि नियोजित शिक्षकों के मामले में सुप्रीम कोर्ट का जो भी निर्णय होगा, राज्य सरकार मानेगी. उन्होंने कहा कि हम प्रार्थना करेंगे कि समान काम समान वेतन मामले में सुप्रीम कोर्ट में शिक्षकों के पक्ष में फैसला आये. वर्मा ने कहा कि चाहे सुप्रीम कोर्ट जो फैसला दे, या फिर बिहार सरकार जो निर्णय करे, नियोजित शिक्षकों के वेतन में बढ़ोतरी तय है. सासाराम में शिक्षकों के एक कार्यक्रम में पहुंचे शिक्षा मंत्री के इस बयान को सियासत से जोड़कर देखा जा रहा है. दरअसल, बिहार सरकार आगामी चुनाव को ध्यान में रखते हुए बिहार के लगभग साधे तीन लाख नियोजित शिस्खाकों और उनके परिवार को नाराज नहीं करना चाहती.