
बिहार ब्रेकिंगः चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की पाॅलिटिकल एंट्री के बाद जदयू में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। जदयू और राजद के बीच की राजनीतिक लड़ाई अक्सर बेहद आक्रामक होती है, हर मोर्चे से हमले होते हैं। बयानों से बिहार की राजनीति का तापमान अक्सर बढ़ा हुआ होता है लेकिन फिलहाल सब शांत है। जदयू की ओर से हमले बंद हैं। जदयू प्रवक्ता खामोश हैं और यह तबसे है जब से प्रशांत किशोर की जदयू में एंट्री हुई है। राजनीति में ऐसे संयोग कम हीं होते हैं इसलिए इस संयोग से एक सवाल पनप रहा है जो आज बिहार में राजनीतिक दृष्टिकोण से सबसे बड़ा सवाल है कि क्या प्रशांत किशोर किसी रणनीति पर काम कर रहे हैं जिसके तहत प्रवक्तों को खामोश रहने के निर्देश दे दिये गये हैं? डिजिटल युग में राजनीतिक लड़ाई सोशल मीडिया के मंच से भी लड़ी जाती है। अक्सर ट्विटर वाॅर के जरिए राजनीतिक विरोधियों पर हमले खबर बनती है लेकिन मौजूदा वक्त में जदयू की ओर से सब शांत हैं। जदयू प्रवक्ताओं की ओर से कोई बयान नहीं आए हैं। ट्विटर पर एक खामोशी और विरानी सी छाई हैं ऐसे में यह सवाल तो उठना ही है कि इस सन्नाटे की वजह क्या है?

अक्सर तेजस्वी यादव और राजद पर हमलवार रहते हैं ये जदयू प्रवक्ता
तेजस्वी यादव और राजद पर अक्सर जो जदयू प्रवक्ता हमलावर रहते हैं वे हैं। जदयू के मुख्य प्रवक्ता संजय सिंह, प्रवक्ता, नीरज कुमार, राजीव रंजन, डाॅ. अजय आलोक। टिवट्र पर इन जदयू प्रवक्ताओं के ट्वीट के जरिए अपने कट्टर राजनीतिक प्रतिद्धंदी पर हमले अक्सर खबर बनतें हैं लेकिन फिलहाल खामोशी है और इस खामोशी से यह सवाल लाजिमी हो जाता है कि ‘इतना सन्नाटा क्यों है भाई?