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डॉ त्रिलोचन महापात्रा को एग्रिकल्चरल साइंटिस्ट रिक्रूटमेंट बोर्ड (ASRB), पूसा का चेयरमैन नियुक्त करने की तैयारी चल रही है। गौरतलब है कि महापात्रा अपने वर्तमान पद पर नियुक्ति को लेकर पहले से विवादित रहे हैं। ऐसे में 60 वर्षीय महापात्रा की नियुक्ति अब एक और जिम्मेदार पद पर करने के संकेतों से खलबली है। दरअसल खुद डॉ त्रिलोचन महापात्रा एग्रिकल्चर साइंटिस्ट रिक्रूटमेंट बोर्ड (ASRB) चेयरमैन हेतु नियुक्ति के लिए सर्च कम सेलेक्शन कमिटी के मेम्बर थे। पद के लिए 7 आवेदकों के नाम भी शार्टलिस्ट किये जा चुके हैं। इसके लिए इंटरव्यू बीते 9 मई 2022 को ही होना था। त्रिलोचन महापात्रा को ये पद दिलाने के लिए पहले तो उन्हें सेलेक्शन कमिटी से अलग किया गया। फिर इंटरव्यू की तारीख 9 मई से बढ़ाकर 8 जून कर दी गई। सत्ता के गलियारे में कई लोगों का मानना है कि चेयरमैन पद के लिए त्रिलोचन महापात्रा की नियुक्ति तय है।
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डॉ त्रिलोचन महापात्रा के रसूख और कारनामों को लेकर सोशल एक्टिविस्ट डॉ संदीप पहल पहले ही प्रधानमंत्री सहित अन्य विभागीय मंत्रियों और अधिकारियों को अवगत करवा चुके हैं। डॉ संदीप पहल के पूर्व शिकायत पर विभागीय जांच तो कराई गई, लेकिन जांच अधिकारी डॉ त्रिलोचन महापात्रा के दो रैंक अधिनस्थ को बनाया गया। डॉ पहल अपने शिकायत पत्र में आरोप लगाते हैं कि डीजी आईसीएआर के पद पर रहते हुए डॉ त्रिलोचन महापात्रा ने 100 करोड़ के घपले पर पर्दा डाला और आगे की जांच बंद करवा दी। पहल ने तो यहां तक आरोप लगाया कि डॉ त्रिलोचन महापात्रा ने भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने के एवज में मोटी रकम ली।
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त्रिलोचन महापात्रा ने अपने रसूख का इस्तेमाल करते हुए वर्ष 2022 में DDG और ASRB सदस्यों की नियुक्ति में कई वरिष्ठ वैज्ञानिकों को दरकिनार किया। उनकी कारगुजारियों के चलते कृषि वैज्ञानिकों में गहरा असंतोष देखा जा रहा है। इस बाबत शासकीय विवशता के चलते हालांकि किसी वैज्ञानिक ने आधिकारिक बयान जारी नहीं किया। वहीं इस बारे में मंत्रालय को अनौपचारिक तौर पर अवगत कराया जा चुका है। डॉ त्रिलोचन महापात्रा की धमक का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि डीजी आईसीएआर के पद पर नियुक्ति अधिकतम 5 वर्षों के लिए होती है। जबकि 60 वर्ष की आयु पूरी करने के बावजूद बीते 6 से अधिक सालों से महापात्रा अपने पद पर जमे हुए हैं। अब डॉ महापात्रा के इतिहास को खंगालें तो आप दांतों तले उंगलियां दबा लेंगे। वर्ष 2016 में डीजी आईसीएआर पद पर बिना आवेदन किये ही डॉ त्रिलोचन महापात्रा की नियुक्ति कर दी गई थी। जबकि उनसे वरिष्ठ कई कृषि वैज्ञानिक बगलें झांकते रहे। इस पद के लिए कम से कम 25 वर्ष के अनुभव का पैमाना भी तब महापात्रा पूरी नहीं कर पाए थे। मामला कोर्ट में भी गया, लेकिन महापात्रा के रसूख और उन्हें बचाने वालों की बदौलत वे आज भी अपने पद पर काबिज हैं।