
बिहार डेस्कः राजनीति की यह पुरानी रवायत है कि चुनावी मौसम में डिमांड की अनदेखी बगावत बन जाती है या फिर यूं कहें कि जब महत्वकांक्षाएं हिलोरें मारती है तो फिर दलों की अदला बदली भी शुरू हो जाती है। कुनबा बिखरने लगता है और खेमे बदले जाने लगते हैं। चुनावी मौसम में बिहार में राजनीति की इस पुरानी रवायत की वानगी देखने को मिल रही है। बगावत सुलगने लगी है और पहली आग लग गयी है केन्द्रीय मंत्री सह लोजपा सुप्रीमों रामविलास पासवान के कुनबे में। उनके खिलाफ उनकी बेटी आशा पासवान ने हीं बगावत का बिगुल फूंक दिया है। बिहार की लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के अध्यक्ष पर उपेक्षा का आरोप लगाते हुये उन्होंने कहा कि वह पिता के खिलाफ हाजीपुर से ही चुनाव लड़ने की इच्छा रखती है. वह अपनी पार्टी (राजद) से टिकट की उम्मीद रखती हैं. वहीं, दामाद अनिल साधु ने रामविलास पासवान और चिराग पासवान पर दलितों की आड़ में सवर्णों की राजनीति करने का आरोप लगाया है. दलितों को बंधुआ मजदूर मानने वाले विचार से पोषित बताया है.

पासवान पर लगाये गंभीर आरोप
आशा पासवान ने रामविलास पासवान पर आरोप लगाया है कि वह बेटियों से भेदभाव रखते हैं. वह केवल चिराग पासवान की चिंता रखते हैं. वह इस बात से भी आहत दिखीं कि पिता ने अपनी पार्टी (एलजेपी) में उनको कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी नहीं दी. भाई चिराग जमुई से सांसद भी हैं. उनको पार्टी के संसदीय दल का नेता तक बना दिया. चिराग पासवान को लेकर तल्ख तेवर दिखाये और नेता विरोधी दल तेजस्वी प्रसाद यादव और तेज प्रताप यादव को अपना भाई बताते हुए कहा कि राजद उनको चुनाव मैदान में उतारेगी तो वह इसके लिये पूरी तरह तैयार हैं.रामविलास पासवान के दामाद अनिल साधु ने चिराग पासवान पर संगीन आरोप लगाये हैं. उनका कहना है कि जिस तरह आदरणीय पासवान के पुत्र का व्यवहार है उससे बहन (आशा पासवान) ही नहीं नजदीकी रिश्तेदार और एलजेपी के कार्यकर्ता भी नाराज हैं.