
बिहार डेस्क-मंजेश कुमार-पटना

पटना शहर को अतिक्रमण मुक्त योजना पर पटना नगर निगम बहुत ही जोर शोर से काम कर रहा है, लेकिन जगह-जगह खुद सड़कों पर अतिक्रमण कर चलने वालों के लिए मुसीबत खड़ा किये हुए है। पटना नगर निगम जिस अतिक्रमण को हटाने की बात कर रही है या हटा रही है वास्तव में वो सड़कों के किनारे लग रहे अस्थाई दुकाने हैं जिससे हजारों गरीब अपना परिवार चलाते हैं। उन गरीबों के द्वारा किए गए अतिक्रमण को हटा कर नगर निगम स्वच्छ और सुंदर पटना की कल्पना तो कर सकते हैं लेकिन खुशहाल पटना की कल्पना कभी नहीं की जा सकती है। पटना नगर निगम के अधिकारी भारी भरकम लाव लश्कर एवं भारी संख्या में पुलिस बल लेकर अतिक्रमण हटाने इस तरह से जाते हैं कि अनभिज्ञ लोगों को लगता होगा कि शायद कोई बहुत बड़ी घटना या दुर्घटना घटी होगी लेकिन हटाया जाता है सड़क किनारे लगे गरीबों के दुकानों को। इतना ही अतिक्रमण हटाते समय नगर निगम के अधिकारी न सिर्फ उन दुकानों को हटाते या हटवाते हैं बल्कि उसे तोड़-फोड़ कर इस स्थिति में कर देते हैं कि वो दुबारा किसी वैध जगह पर खड़ा न किया जा सके।
लेकिन पटना नगर निगम ने शहर में कई जगह सड़कों पर ही कूड़ेदान रखा हुआ है जिससे राहगीरों को भारी मुसीबत झेलना पड़ता है वहीँ दुर्घटना की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है। सड़क पर कूड़ेदान होने के वजह से न सिर्फ आने जाने वाले को बदबू का सामना करना पड़ता है बल्कि कूड़ेदान वाली जगहों पर सड़क की चौड़ाई घट कर आधी हो जाती है जिससे हरवक्त दुर्घटना की आशंका बनी रहती है बावजूद इस तरफ ध्यान नहीं जा रहा। सड़कों पर नगर निगम के इस वैध अतिक्रमण के वजह से न सिर्फ आने जाने वाले वाहनों को दुर्घटना का भय सताता है बल्कि पैदल चलने वाले राहगीरों के लिए भी भारी मुसीबत का कारण है।