
वैसे तो बिहार से दिल्ली तकरीबन 1 हजार किलोमीटर दूर है लेकिन सियासत में इस दूरी का मतलब कुछ और हीं होता है। सियासत दानों के लिए बिहार से दिल्ली का सफर बस सफर नहीं ख्वाब होता है जिसे बिरले हीं पूरे कर पाते हैं। वैसे बिहार में वैसे नेताओं की फेहरिस्त बहुत लंबी है जिन्होंने बिहार से दिल्ली तक का सफर तय किया और लंबे वक्त तक दिल्ली की सियासत को अपने इशारों पर नचाते रहे। लालू यादव, नीतीश कुमार, रामविलास पासवान के अलावा भी ऐसे ढेरों चेहरे हैं जिनका जलवा ऐसा रहा कि वर्षों तक दिल्ली की सियासत इशारों पर नाचती रही। बिहार से दिल्ली तक सियासी हवाओं को रूख अपने हिसाब से मोड़ने का माद्दा रखने वाले मतंग सिंह का भी जलवा कम नहीं था।

मतंग सिंह ने न सिर्फ सियासत में अपना जलवा लंबे वक्त तक कायम रखा बल्कि वो मीडिया इंडस्ट्री के भी जाने-माने नाम बग गये थे। पॉजिटिव मीडिया ग्रुप के संस्थापक रहे. हमार टीवी फोकस टीवी. एनईटीवी. एनई बांग्ला. एचवाई टीवी समेत कई रेडियो चैनलों की शुरूआत कर मीडिया में बड़ा नाम बन गए मतंग सिंह अब इस दुनिया में नहीं हैं। गुरूवार को उनका निधन हो गया लेकिन मतंग सिंह शायद पहले ऐसे बिहारी हैं जिनकी चर्चा कम होती है लेकिन उनका जलवा कम नहीं था। वे सारण जिले के तरैया प्रखंड के आकुचक गांव के मूल निवासी थे।
मतंग सिंह असम की राजनीति में बड़ा चेहरा बन कर उभरे थे। पीवी नरसिंह राव सरकार में जब उन्हें संसदीय कार्य राज्य मंत्री बनाया गया तो पूरे देश के लोगों ने उन्हें जाना। नरसिंह राव की सरकार में उनकी ताकत और हैसियत अचानक बढ़ी।मशहूर तांत्रिक चंद्रास्वामी ने मतंग सिंह की सियासी संभावना को पहचाना था और उन्होंने ही पीवी नरसिंह राव की कांग्रेस सरकार में उनको जगह दिलाई। मतंग को पीएमओ से जुड़ा मंत्रालय मिला वे प्रधानमंत्री के खासमखास बन गए।
वे कई मौके पर नरसिम्हा राव के लिए संकट मोचक की भूमिका में भी रहे।मतंग सिंह के रसूख का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि उन्हें यूपीए सरकार के दौरान जेड प्लस सिक्योरिटी कवर मिला हुआ था। 36 कमांडो और 100 से अधिक सुरक्षाकर्मी उनके साथ तैनात रहते थे। मतंग सिंह की राजनीति असम के ही तिनसुकिया जिले से शुरू हुई। इसे मिनी बिहार भी कहा जाता है। अब यहां बिहारियों की तादाद पहले से कम हो गई है, लेकिन एक वक्त था कि यहां से बिहारी ही विधायक और मंत्री लगातार बनते थे।