
बिहार विधानसभा चुनाव से जुड़ी हुई एक बड़ी खबर है। अक्सर चुनावी मैदान में उतरने वाले उम्मीदवार खासकर दागी उम्मीदवार यह चालाकी कर बैठते हैं कि वे अपने आपराधिक रिकार्ड की जानकारी अपने चुनावी हलफनामे में नहीं देते। लेकिन अब यह चालाकी भारी पड़ने वाली है। बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान दागी नेताओं के आपराधिक रिकार्ड सार्वजनिक नहीं करने को लेकर राजनीतिक पार्टियों और इलेक्शन कमीशन को झटका लगा है. सर्वोच्च न्यायालय ने राजनीतिक दलों और मुख्य चुनाव आयुक्त को अवमानना नाटिस जारी किया है.

नोटिस का जवाब चार हफ्ते में देना है, जिसके बाद इस मामले में 9 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई होगी. जस्टिस रोहिंटन एफ नरीमन, जस्टिस हेमन्त गुप्ता और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने वकील बृजेश सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए पूछा है कि सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट दिशा निर्देशों के बावजूद राजनीतिक पार्टियों ने उन पर पूरी तरह से अमल नहीं किया तो आयोग ने उनके खिलाफ क्या एक्शन लिया गया. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल सभी को व्यक्तिगत रूप से पेश होने से छूट दे दी है.