
राष्ट्रीय लोक समता पार्टी की किसान चौपाल ने गांवों में दस्तक दे दी है. दो फरवरी को केंद्र सरकार के तीन काले कृषि कानूनों की प्रतियां जला कर रालोसपा ने किसान चौपाल की शुरुआत की थी. अब गांवों में चौपाल लगा कर रालोसपा नेता किसानों में अलख जगा रहे हैं और किसानों को बता रहे हैं कि इन कानूनों से उनका और आम लोगों का क्या नुकसान होगा. किसान चौपाल 28 फरवरी तक चलेगी. रालोसपा के प्रदेश महासचिव व प्रवक्ता धीरज कुशवाहा ने यह जानकारी प्रेस कांफ्रेंस कर दी.किसान चौपाल के तीसरे दिन चंपारण, भोजपुर, लखीसराय जिले के गांवों और शहरी इलाके में किसान चौपाल लगा कर केंद्र सरकार की नीयत को उजागर किया गया.

धीरज कुशवाहा ने बताया कि गांवों में बड़ी तादाद में किसान तो इस चौपाल में शामिल हो ही रहे हैं, समाज के दूसरे तबके से जुड़े लोग भी इसमें हिस्सेदारी बटा रहे हैं. पार्टी नेता और कार्यकर्ता गांवों के अलावा शहरों में भी बुद्धीजिवियों और छात्रों के अलावा समाज के वंचित तबके के बीच जाकर इन कानूनों की सच्चाई सामने रख रहे हैं और बता रहे हैं कि यह कानून किसानों को गुलाम बनाने वाला है. इससे किसानों के साथ-साथ समाज के दूसरे तबके का अहित होगा. किसान चौपाल बिहार के हर जिले में लगाई जा रही है और 28 फरवरी तक रालोसपा का यह कार्यक्रम चलेगा. रालोसपा ने दस हजार गांवों में किसान चौपाल लगाने का लक्ष्य तो रखा ही है इसके अलावा 25 लाख किसानों तक पहुंच कर इन कानूनों की जानकारी और जागरूक बनाने का भी लक्ष्य रखा है.