
भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री डाॅ. प्रेम कुमार ने कहा है कि किसानों के दस संगठनों ने कृषि कानून का समर्थन किया है। इससे स्पष्ट है कि यह किसानों के हक में है तथा किसान इसका समर्थन कर रहे हैं। इस बात से यह भी स्पष्ट हो गया है कि यह तथाकथित आंदोलन किसानों का आंदोलन नहीं बल्कि यह एक प्रायोजित कार्यक्रम बन का रह गया है। किसान पूरे देष में हैं, लेकिन पंजाब, हरियाणा के किसान ही आंदोलन कर रहे हैं। अन्य राज्यों के किसान आंदोलन में हिस्सा नहीं लिया ? यह सवाल सामने है। किसानों के इस आंदोलन में कई गैर किसान संगठनों एवं राष्ट्रविरोधी ताकतें घुस कर भ्रम फैलाने का काम कर रहे हैं। कुछ किसान हैं भी तो भ्रमित कर आंदोलन में शामिल कराया गया है।
डाॅ. कुमार ने कहा कि कई राज्यों में किसानों का प्रतिनिधित्व करने वाले 10 संगठनों ने तीन नए कृषि कानूनों के समर्थन में केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेद्र सिंह तोमर से मुलाकात कर पत्र दिया है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस व अन्य विपक्षी दलों ने कृषि कानून के खिलाफ भ्रम फैला कर अपनी राजनीति कर रहे हैं, जो अब खुल कर लोगों के सामने आ गया है। किसानों के इस आंदोलन से देष को आर्थिक नुकसान हो रहा है, जिसे किसानों एवं कांग्रेस सहित विपक्षी दलों को देखना चाहिए। आंदोलनरत किसानों से मेरा अपील है कि अब विरोध का रास्ता छोड़ कर देष के विकास में हाथ बंटाने की जरूरत है।
सरकार हर तरह से बार्ता करने को तैयार है लेकिन आंदोलनरत किसान संगठनों का वार्ता में जिस तरह का व्यवहार रहा है वह यह समझने के लिए काफी है कि इनका किसानों के हितों से कोई लेना देना नही है वल्कि इनका मकसद माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को कमजोर करने का है जिसमें ये कभी कामयाव नही होगें।