
अपने काम के लिए तो लोग अक्सर जाने जाते हैं लेकिन अपने शौक के लिए भी मशहूर लोगों की दुनिया में कमी नहीं है। जी हां, हम बात कर रहे हैं एक ऐसे शख्सियत की जो कहता है कि उसके पास करीब सात हजार पत्नियां हैं। चौंकिये मत जनाब, हम बताते हैं आपको इस शख्सियत के बारे में।

ये शख्सियत हैं भागलपुर के भीखनपुर स्थित न्यू सेंचुरी स्कूल के निदेशक राजा बोस जिन्हें बागवानी का शौक है और उनके बागों में करीब सात हजार पेड़ हैं। उन्होंने खुद तो शादी नहीं की लेकिन वे अपनी पेड़ों को ही अपनी पत्नी मानते हैं। पेड़ पौधे ही उनका परिवार है। उनके आंगन में दुर्लभ पौधों का हरा-भरा परिवार है, जिसकी देखरेख वह खुद करते हैं। पौधे के प्रति इतना लगाव है कि उनके मन में कभी शादी का ख्याल भी नहीं आया। देश के विभिन्न जगहों पर आयोजित पुष्प प्रदर्शनी में उनके पौधे और फल कई बार पुरस्कृत हो चुके हैं। राजा बोस ने अपने घर को ही गार्डेन बना लिया है और उसका नाम ‘बॉटनिकल वंडरलैंड’ रखा है, जहां पर छत, दीवार, बालकनी और जमीन में 500 से अधिक प्रजाति के पौधे हैं।

यहां से मिली बागवानी की प्रेरणा
राजा बोस आज अपनी बागवानी की शौक के लिए तो मशहूर हैं ही साथ ही वे राष्ट्रीय स्तर के टेबल टेनिस खिलाडी भी रह चुके हैं। 1986 में जूनियर स्तरीय स्कूली प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए वह बेंगलुरु गये थे। उस समय वह छठी कक्षा के छात्र थे। वहां की बागवानी ने उन्हें काफी आकर्षित किया। लौटने के बाद चार फूल के पौघों से बागवानी की शुरुआत की। इसके बाद बागवानी में मन लगता गया और अब घर में ही विशाल वाटिका तैयार है। सड़क किनारे या गली-मोहल्लों में प्लास्टिक का बोतल अगर उन्हें कहीं मिल जाता है तो वह उसे घर लाकर उसमें पौधे लगाते हैं।
गमले में उपजाते हैं फल।
गमले में ही आम, नारंगी, अमरूद, चीकू, नींबू, चेरी, शरीफा, पपीता, मौसमी आदि फल उपजाते हैं। राजा ने बताया कि जापानी टेक्नोलॉजी के माध्यम से बड़े पौधे को छोटे प्रारूप में विकसित कर उससे फल का उत्पादन हो रहा है। उनके पास औषधीय में लेमन ग्रास, पत्थर चूड़, हरजोड़, सदाबहार, इन्सुलिन, जेटरोफा, ऐलोबेरा, तुलसी, अश्वगंधा के पौधे हैं। सजावटी पौधों में डाईफेनबेकिया, एगालोनिमा, ड्रैसिना, फिलोडेनड्रान व फर्न हैं। सकुलेंट पौधों में पेचीपोडियम, आईपोमिया, अगेभ, यूफोरविया के अलावा गुलाब फूल (काला गुलाब, पीला, बाइकलर) के पौधे 40 तरह के हैं। अड़हुल फूल भी 50 प्रकार के हैं।
दुर्लभ पौधे वाटिका की शान
भीखनपुर स्थित न्य सेंचुरी स्कूल के प्राचार्य राजा ने बताया कि दक्षिण अफ्रीका के सकुलेंट, पेचीपोडियम, बैंकाक के हावरथिया, एलोवेरा, श्रीलंका के एसोला, कमल, बंग्लादेश के एडेनियम, मेडागास्कर के केकटस, तंजानिया के यूफोरविया आदि पौधे दुर्लभ हैं। ये पौधे कोलकाता, आगरा, दार्जीलिंग, चंडीगढ़ और दिल्ली से मंगवाते हैं। घर को करें हरा-भरा, खुद दूर हो जायेगी प्रदूषण की समस्या राजा का मानना है कि दिल्ली व अन्य जगहों पर प्रदूषण की बढ़ती समस्या का हल हो सकता है। इसके लिए लोगों को अपने-अपने घर की छतों व बालकनी में पौधे लगाने चाहिए। इससे प्रदूषण की समस्या खुद समाप्त हो जायेगी।