
बिहार ब्रेकिंग-रविशंकर शर्मा-पटना ग्रामीण

वैश्विक मारामारी कोरोना के मद्देनजर ग्रामीणों को इंतजार था कि शायद शासन प्रशासन से जुड़े लोग शहरों तक ही सीमित न रहकर कभी ना कभी गाँव की ओर भी रुख करेंगे। परन्तु मुख्य सचिव के द्वारा मुखिया से लेकर डीएम स्तर तक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर आवश्यक दिशा निर्देश भी दिये थे। इसके बाबजुद सूबे के गाँव की हालत बद से बदतर होते जा रहे हैं। कोई जनप्रतिनिधि अथवा अधिकारी गाँव की सुधि नही ले रहे हैं। कमोवेश पूरे सूबे के हालात इस मामले में एक समान ही हैं। जनप्रतिनिधियों को आदेश के बाबजूद जब ऐसी विकट परिस्थिति में भी चेतना जागृत नही होती है तो जनाक्रोश पनपता है और यही आजकल लॉक डाउन के दौरान देखा भी जा रहा है, जब जनता अनदेखी से तंग आ जाती है तब या तो उसका पॉजिटिव रिएक्शन होता है या नेगेटिव। और यही आजकल देखने को मिल रहा है।
राहत की बात ये है कि इस बार का जनाक्रोश नेगेटिव कम और पॉजिटिव अधिक दिख रहा है। लोग खुद ही गंदगी की सफाई करते गाँव की गलियों में देखे गये। ग्रामीणों ने ना सिर्फ सफाई की बल्कि सफाई के बाद ब्लीचिंग पाउडर का भी छिड़काव अपने दम पर किया। जिसमे कुछ लोगों ने आर्थिक सहयोग दिया तो कुछ ने श्रमदान कर गाँव को गंदगी मुक्त किया। मामला मोकामा प्रखण्ड के हाथीदह पंचायत का है परंतु ये सिर्फ उदाहरण मात्र है। सूबे के गाँव मुख्य सचिव के आदेश के बाद भी आज अनाथ सा महसूस कर रहे हैं, इससे बड़ी असंवेदनशीलता भला और क्या हो सकती है?