
बिहार डेस्कः केन्द्रीय राज्यमंत्री सह रालोसपा सुप्रीमों उपेन्द्र कुशवाहा के ‘खीर’ वाले बयान ने बिहार के सियासी गलियारों में तूफान मचा रखा है। पहले हीं उनके एनडीए से अलग होने के कयास लगते रहे हैं उसके बाद उनके इस बयान से राजनीति और गरमा गयी है। हांलाकि अब उपेन्द्र कुशवाहा ने अपने बयान को लेकर सफाई दी है। उन्होंने कहा है कि उन्होंने ‘खीर’ वाला बयान सामाजिक एकता के संदर्भ में दिया था। दरअसल इससे पहले उन्होंने ‘यदुवंशी का दूध और कुशवंशी का चावल मिल जाये, तो उत्तम खीर बन सकती है’ कह कर सूबे के राजनीति हलके में सियासी तूफान ला दिया था. गौरतलब हो कि शनिवार को बीपी मंडल की 100वीं जयंती के मौके पर उपेंद्र कुशवाहा ने कहा था कि यदुवंशी का दूध और कुशवंशी का चावल मिल जाये तो उत्तम खीर बन सकती है. यहां काफी संख्या में यदुवंशी समाज के लोग जुटे हैं. यदुवंशियों का दूध और कुशवंशियों का चावल मिल जाये तो खीर बनने में देर नहीं लगेगी. लेकिन, यह खीर तब तक स्वादिष्ट नहीं होगी जब तक इसमें छोटी जाति और दबे-कुचले समाज का पंचमेवा नहीं पड़ेगा. यही सामाजिक न्याय की असली परिभाषा है.
