
बिहार ब्रेकिंग-रविशंकर शर्मा

मालवाहक वाहन मालिकों के लिये माननीय पटना उच्च न्यायालय के आदेश ने मानो संजीवनी का कार्य किया है। मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति संजय करोल तथा न्यायमूर्ति मोहित कुमार शाह की खंडपीठ ने बिहार स्टेट ट्रक ऑनर एसोसिएशन कि ओर से दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुये कहा कि मोटरयान कानून की धारा 114 के तहत ओवरलोडिंग की जाँच का काम परिवहन विभाग का है ना कि पुलिस का। सुनवाई के दौरान वकील सुजीत कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया कि राज्य में ओवरलोडिंग चेक करने का काम पुलिस कर रही है जबकी ये मोटरयान की धारा 114 का उल्लंघन है जो काम परिवहन विभाग का है वो पुलिस किस अधिकार और कारण से कर रही है? जबकी हकीकत यह है कि राज्य के किसी भी भाग में परिवहन विभाग ओवरलोडिंग की जाँच नही करता है।
अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि पुलिस वाले चेकिंग के दौरान चालकों/मालिको अथवा उपचालकों से मारपीट गाली गलौज और दुर्व्यवहार भी करते हैं। इतना ही नही कभी कभी तो गलत केश में भी फँसा देते हैं। इतना ही नही कई माह तक मालवाहक वाहनों को अवैध तरीके से थाने में रखे रहते हैं। अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि जब्ती का कागज तक वाहन मालिकों को नही दिया जाता औऱ जब इसका विरोध वाहन मालिक या चालक करते हैं तो ट्रक में दारू दिखा कर पुलिस करवाई कर देती है। इन सारे दलीलों के मद्देनजर कोर्ट का रुख सख्त हो गया और कोर्ट ने पुलिस को आदेश दिया कि किसी भी तरह से पुलिस को मालवाहक वाहनों के ओवरलोडिंग चेक करने का अधिकार नही है। इस आदेश के बाद वाहन मालिकों द्वारा पुलिस और थानों पर लगाया गया अवैध वसूली का आरोप भी सत्य साबित होता है। कोर्ट ने इसके लिये सख्त हिदायत दी है। अगर ऐसे मामले सामने आते हैं तो इसे कोर्ट के आदेश का उल्लंघन मानकर करवाई की जायेगी।