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1 अणे मार्ग स्थित मुख्यमंत्री आवास पर जदयू की बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि आज की बैठक पार्टी के बूथ स्तर की ट्रेनिंग को लेकर हुई है। विधानसभा के स्तर पर ट्रेनर का कैम्प होगा उसके लिए तिथि निर्धारित की जाएगी। गांधी मैदान में पिछली बार 1 मार्च 2015 को कार्यकर्ता सम्मेलन हुआ था, उसी प्रकार इस बार भी 01 मार्च 2020 को गांधी मैदान में कार्यकर्ता सम्मेलन होगा। इन सब बिंदुओं पर बात हुई है। बाकी सभी अन्य मुद्दों पर भी चर्चा की गई है। हमलोगों ने एक दिन और प्रखंड और जिलाध्यक्षों को भी बुलाया है। उन्हें जिम्मेदारी दी गयी है कि किये जा रहे कार्यों का फीडबैक लेकर आएं। अगर कोई समस्या है तो उसे भी सामने लायें। पत्रकारों द्वारा पूछे गये शरजिल इमाम से संबंधित सवाल का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली पुलिस का जो काम है, वह कर रही है। बिहार पुलिस इसमें पूरा सहयोग कर रही है। उसने जो कुछ भी गलत बातें कही है, उस पर कानूनी कार्रवाई हो रही है। जो गलत काम करेगा उस पर कार्रवाई होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जहां तक सीएए का सवाल है सीएए अब कानून का रूप ले चुका है। यह केंद्र सरकार द्वारा पास भी कराया जा चुका है। यह केंद्र सरकार का विषय है। सीएए पर कुछ विवाद है, यह विषय माननीय सर्वोच्च न्यायालय के अधीन है। उस पर चर्चा होगी कि यह संवैधानिक है या नहीं। इस विषय पर किसी के मन में कोई प्रश्न है तो माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का इंतजार करना चाहिए। जहां तक एनआरसी की बात है हमलोगों ने पहले ही ही कहा है कि एनआरसी का सवाल ही नहीं है। प्रधानमंत्री जी का भी एक स्टेटमेंट आया है कि इस तरह की कोई बात नहीं है। एनपीआर की बातें चल रही हैं। यह वर्ष 2011 से चल रहा है उसी का रिव्यू हुआ है। आगे 2015 में हुआ और फिर वर्ष 2020 में हो रहा है। यह नई बात नहीं है। उन्होंने कहा कि एनपीआर में जो कुछ नया जोड़ा गया है उससे कुछ भ्रम का माहौल पैदा हुआ है। माता-पिता का कहाँ जन्म हुआ जैसे प्रश्नों को लेकर गरीब-गुरबों को शायद यह जानकारी न हो। हमलोगों की पार्टी की जो राय है, दोनों संसदीय दल के नेता उन बातों को रखेंगे।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2011 से एनपीआर का जो आधार चला आ रहा है उसी को कंटिन्यू किया जाए ताकि लोगों को भ्रम भ्रम न हो। एनपीआर में जो नए कॉलम जोड़े गए हैं उसकी आवश्यकता नहीं है। जो पुराने क्लाउज हैं उसी आधार पर एनपीआर हो। इसमें 4-5 बिंदु हैं जिस पर ध्यान दिए जाने की जरुरत है। जैसे माता का जन्म किस दिन हुआ है, यह जरुरी नहीं कि सबको ऐसी बातें पता हो, खासकर गरीब गुरबों को। आधार कार्ड का नंबर तो पहले से ही रिकार्डेड है। लोगों के मन में जिन चीजाें को लेकर भ्रम और भय आ गया है उन सब चीजाें को देखकर समाधान करते हुए लोगों काे राहत दिलानी चाहिए। एनपीआर नई चीज नहीं है। सभी चीजों के बारे में जानकारी देना जरुरी नहीं है, यह बात बतायी तो जा रही है लेकिन उसको अंकित करने की भी क्या जरुरत है? इससे लोगों में भ्रम की स्थिति पैदा होती है। हमसे भी अगर पूछिएगा तो मां का जन्मतिथि पता नहीं है। सीएए से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सीएए कोई स्टेट का विषय नहीं है। राज्य के अधिकार क्षेत्र में नहीं है। सीएए के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में मामला है, वहां यह निर्णय हो जाएगा कि यह संवैधानिक है या नहीं। सबसे आग्रह है कि इन सब चीजों से समाज में अलग तरह का वातावरण पैदा न करें। देश में एकता, आपसी सम्मान एवं सद्भाव का भाव रहना चाहिए। सबका अपना-अपना ओपिनियन है, यह कानून केंद्र सरकार द्वारा पास हो गया है सुप्रीम काेर्ट के निर्णय से बातें स्पष्ट हो जाएंगी। लोगों को इस बात को समझना चाहिए, अकारण तूल नहीं देना चाहिए। हमलोगों का भी अपना ओपिनियन है जिसे प्रकट करते हैं। आज की बैठक में जो बात हुई है उसमें महत्वपूर्ण बात ये है कि जनगणना जातीय आधार पर होनी चाहिए। पिछले वर्ष फरवरी 2019 में विधानसभा और विधान परिषद में एकमत से यह संकल्प पारित कर केंद्र सरकार को भेज दिया गया था। पार्टी की भी यही राय है। वर्ष 1931 के बाद से जातिगत जनगणना नहीं हुई है। जातिगत जनगणना होने से बहुत बातें सामने आएंगी। जैसे धर्म के आधार पर जनगणना, एससी/एसटी के बारे में जनगणना से उनसे संबंधित कई जानकारियॉ मिलती हैं। उसी प्रकार सामान्य वर्ग और पिछड़े वर्ग के बारे में भी जानकारी मिलेगी। समाज के जो लोग हाशिए पर हैं उन्हें मुख्य धारा में लाने के लिए कितने संसाधन की और जरुरत होगी, ठीक से क्रियान्वित करने के लिए लिए और किन किन चीजों की आवश्यकता होगी इसके संबंध में जानकारी मिलेगी। हमलोगों ने वर्ष 2011 में सर्वे कराया था लेकिन उसमें जातीय आधारित मुख्य बातें नहीं थी जिसके कारण उसको प्रकाशित नहीं किया गया था। सभी चीजों काे देखते हुए मूल तौर पर यही कहना है कि जनगणना जातीय आधार पर हो।
शरजिल इमाम से संबंधित सवाल का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के संविधान को समझना चाहिए। देश के संविधान से बाहर नहीं जाना चाहिए। देश के बारे में हर नागरिक का कर्तव्य है। देश के कानून को मानना होगा। देशहित के बाहर नहीं जाना चाहिए। जो गलत कार्य करेगा उसके साथ कानूनी तरीके से पुलिस कार्रवाई करेगी और कोर्ट में सुनवाई होगी। इक्का-दुक्का आदमी ही इस तरह की बातें करता है। देश का हर आदमी इस तरह का विचार नहीं रखता है, जो कुछ कहा गया है, क्या कहा गया है, उन सब चीज़ों की जांच कर पुलिस कार्रवाई करेगी। किसी चीज पर राय अलग बात है लेकिन पूरे देश के बारे में इस तरह की बातें रखनी ठीक नहीं है। कोई देशद्रोह करेगा यह संभव नहीं है। इस धरती पर किसी में दम नहीं कि भारत को टुकड़ों में कर सके, यह संभव नहीं है। जदयू नेता पवन वर्मा एवं प्रशांत किशाेर के आज की बैठक में शामिल नहीं होने से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सब लोग अपनी-अपनी राय रखते हैं। किसी ने चिट्ठी लिखी, उस पर जवाब दे दिया गया है। कोई ट्वीट करता है उससे हमें क्या मतलब। जब तक किसी को पार्टी में रहने की इच्छा होगी तब तक ही वो रहेगा। हमलोगों की पार्टी अलग तरह की पार्टी है। हमलोग साधारण कैटेगरी के लोग हैं। हमारी पार्टी इंटेलेक्चुअल टाइप और बड़े लोगों की पार्टी नहीं है। हम सबकी इज्जत करते हैं, सबका सम्मान करते हैं। श्री अमित शाह जी के कहने पर हमने प्रशांत किशोर को पार्टी ज्वाइन कराया था। कोई कुछ कहता है तो हो सकता है उसके कहीं और जाने का मन हाे। स्ट्रैटजिस्ट के रुप में वे कई लोगों का काम करते हैं। ख़बरों में हैं कि वे आम आदमी पार्टी का काम कर रहे हैं। वे पार्टी में रहेंगे या नहीं ये उन्हीं से पूछ लीजिये। अगर पार्टी में रहना है तो पार्टी के बुनियादी ढांचे को अंगीकार करना होगा और पार्टी को समझना होगा। दिल्ली जाने के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि 30 जनवरी के बाद जो तिथि तय करेंगे उसके आधार पर निर्णय लेंगे। वहां के प्रभारी संजय झा हैं। पत्रकारों से निवेदन करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अपनी व्यस्तता में से कुछ समय जल-जीवन-हरियाली अभियान के लिये दें। इसकी अच्छी चीजों की जानकारी लोगों से लें, क्षेत्रों में जाकर इसके बारे में जो जानकारी आपको मिलेगी उससे मुझे भी अच्छे सुझाव प्राप्त होंगे।