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राजधानी पटना स्थित नृत्य कला मंदिर सभागार में क्रिया योग सत्संग आयोजित की गई। सत्संग में बोलते हुए परमहंस प्रज्ञानंद ने कहा है कि भारत के प्राचीन कालीन ऋषियों ने अष्टांग योग का अभ्यास कर स्वयं को मया मोह से मुक्त हो सत्य का अनुभूति किया। उन्होंने ने कहा कि क्रिया योग सभी योगों का सार है जिसका सरल अर्थ है मिलान करना, जोड़ना। उन्होंने ने बताया कि पारिवारिक जीवन में रहकर भी क्रिया योग के माध्यम से ईश्वर को प्राप्त किया जा सकता है और इसके अनेक ऐसे उदाहरण भी है। भौतिक धरातल पर योग से अच्छा कोई साधन नहीं है जिससे स्वास्थ्य, एकाग्रता एवं शांति दे सके।
उन्होंने कहा कि भारत योगों का देश है और आज पूरा विश्व इसे मानते हुए योग को अपना रहा है। भारत की ही देन है कि अब विश्व योग दिवस मनाया जा रहा है। उन्होंने ने बताया कि पूरे विश्व में 330 से अधिक क्रिया योग की शाखाएं काम कर रहा है। उन्होंने ने दावा किया कि क्रिया योग एक ऐसी योग साधना है जिससे जागतिक चेतना सरलता से दिव्य चेतना में परिवर्तित हो जाती है। कार्यक्रम में शहर के सैकड़ों प्रबुद्ध एवं परमहंस प्रज्ञानंद के अनुयाई उपस्थित थे। कार्यक्रम का आयोजन प्रज्ञान मिशन पटना शाखा द्वारा किया गया था।