
छठ विशेष: बिहार ब्रेकिंग के लिये डॉ कल्याणी कबीर की एक लेख

छठ व्रत के गीत पूरे वातावरण में गूँज रहे हैं। भगवान भाष्कर के प्रति असीम आस्था के साथ सभी इस पुनीत पर्व की तैयारी में जुटे हैं। इस त्योहार को मनाने वाले अधिकांश लोग बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड के निवासी होते हैं। लोकगीतों में छठ मैया के महात्म्य का वर्णन किया गया है। इस त्योहार की एक विशेषता है कि हम अपने आराध्य देव का दर्शन प्रत्यक्ष रूप से करते हैं। भगवान सूर्य हमें साक्षात् दिखाई देते हैं। मानव की सभ्यता और सृष्टि का मूल आधार हैं सूर्य। पृथ्वी पर रहने वाले जड़ – चेतन सभी का अस्तित्व भगवान सूर्य के कारण ही संभव है। इसलिए यह कहना अतिशयोक्ति न होगी कि यह प्रकृति का पर्व है। इसमें अपनी आस्था के अनुसार सभी जाति, धर्म और संप्रदाय के लोग शामिल होते हैं। यह किसानों, मजदूरों और बड़े बड़े उद्योगपतियों के बीच कोई विभेद होने नहीं देता। सभी एक ही नदी के किनारे एक ही घाट पर छठ मैया के सामने झोली फैलाए खड़े होते हैं।
छठ मैया के लोकगीत हमें समर्पण का संदेश देते हैं। भारत को गाँवों का देश कहा गया है और गाँव की मिट्टी का अपनापन और खुश्बू समेटे हुए ये लोकगीत आज भी शहरी बनावट से दूर हैं। इतना ही नहीं बल्कि डूबते सूर्य को पहले पूजने की अद्भुत परंपरा है इस त्योहार में। संदेश यह कि डूब जाना खत्म हो जाना नहीं है। सूर्य फिर से उदित होते हैं और उसी समभाव और लालिमा के साथ जो डूबते वक्त उनके इर्द-गिर्द था। एक व्यक्ति को संतुलित जीवन जीने का संदेश देने के लिए इससे बड़ा उदाहरण भला और क्या हो सकता है। डूबने और उगने की प्रक्रिया एक स्वाभाविक प्रक्रिया है और हर मनुष्य को इसमें समभाव महसूस करना चाहिए। दुनिया भर के आडंबर से दूर फल पकवान के साथ नदी की लहरों के बीच आकाश की लालिमा की ओर तकते व्रतधारी भारतीय संस्कृति के प्रति अगाध श्रद्धा प्रस्तुत करते हैं। सूर्य हमारे लिए ईश्वर हैं, प्रकृति का अंग हैं और जीवन का मेरूदंड हैं। सूर्य की धूप जीवन के लिए, सेहत के लिए अमूल्य है। इस त्योहार का लोकरूप इतना मनभावन है कि विदेशी धरती पर भी जा बसे भारतीय इस त्योहार को पूरी आस्था और विधि-विधान से मनाते हैं अर्थात पकवान की सौंधी खुश्बू विदेशी हवाओं में भी घुल मिल गई है। यह त्योहार संबंधों को एक बार पुन: जोड़ता है, सुदृढ करता है। दूर – दराज में काम करने वाले लोग इस अवसर पर अपने पैतृक गाँव लौटते हैं, फिर से रिश्तों की उष्मा पुनर्जीवित होती है। छठ पर्व प्रकाश का त्योहार है उल्लास का उत्सव है। समाज की नींव सुदृढ करने वाले त्योहार का नाम है छठ पर्व। यह लोकआस्था अद्वितीय भी है और अनुकरणीय भी।