
लैंगिक मुद्दों पर तीसरे अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस में केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने कहा, लैंगिक समानता भारतवर्ष के धरोहर परंपरा और संस्कृति है। वामपंथी और अंग्रेज इतिहासकारों ने जानबुझकर इतिहास लिख कर भारत की छवि को बिगाड़ने का काम किया है।
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सेंटर फ़ॉर जेंडर स्टडीज, बिहार और पटना वीमेंस विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित तीसरे अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में मुख्य अतिथि के तौर पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा लैंगिक समानता पर भारतवर्ष को पश्चिमी संस्कृति और कोई अन्य देश प्रमाण पत्र न दें क्योंकि लैंगिक समानता भारतवर्ष की धरोहर, परंपरा और संस्कृति रही है। हम प्राचीन काल से ही महिला शक्ति को ज्यादा महत्व देते रहे हैं। अंग्रेजों और वामपंथी इतिहासकारों ने गलत इतिहास लिख कर भारत की छवि को खराब करने की कोशिश की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद लैंगिक समानता और महिलाओं को ज्यादा अधिकार देने के संदर्भ में अनेक क्रांतिकारी कदम उठाए गए हैं ताकि समाज में महिलाओं यह भागीदारी पुरुषों के बराबर या ज्यादा हो।
दो दिवसीय इस अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस में श्रीलंका,थाईलैंड और नेपाल के 15 प्रतिनिधियों और भारतवर्ष के 15 राज्यों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। चौबे ने कहा कि भारतवर्ष में वैदिक काल से ही महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सभी क्षेत्रों में चलती रही हैं। वैदिक काल में जहां हम लोपा और मुद्रा जैसी महान विदुषियों को देखें, आदिगुरु शंकराचार्य से शास्त्रार्थ करने वाली भारती (मंडन मिश्र की पत्नी) की बात हो, आधुनिक काल में अंग्रेजो से लोहा लेनेवाली रानी लक्ष्मीबाई हो या सावित्री फुले, सरोजिनी नायडू, कल्पना चावला, पीटी उषा सहित विभिन्न काल खंडों में सभी क्षेत्रों में आश्चर्यजनक काम करने वाली महिलाओं की भारतवर्ष में कमी नहीं रही है। आज भी समाज के सभी क्षेत्रों में देश का नाम रोशन करने वाली महिलाएं जोर शोर से काम कर रही हैं।महिलाओं से संबंधित लैंगिक असमानता जैसी जो भी कुरीतियां भारतीय समाज में आई वह विदेशी शासनकाल में विकसित हुई। पर्दा प्रथा, घूंघट प्रथा, बुर्का प्रथा, बाल विवाह, बहु विवाह, महिलाओं में अशिक्षा जैसी कुरीतियां विदेशी शासनकाल में आने के साथ ही समाज पूरी तरह पुरुष सत्तात्मक हो गया। आधुनिक काल में इसमें काफी सुधार हुआ है लेकिन अभी भी सुधार की जरूरत है। यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रधानमंत्री बनने के बाद महिलाओं को समान अधिकार देने के संदर्भ में बहुत सारे काम किए गए हैं जिसमें उज्जवला योजना, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, जन धन योजना, सब्सिडी धारकों को सीधे अकाउंट में पैसा मिलना आदि जैसे दर्जनों योजनाएं हैं जिसके माध्यम से आज महिला उत्थान में क्रांतिकारी परिणाम देखने को मिल रहे हैं।
तीन पुस्तकों का विमोचन
चौबे ने इस अवसर पर तीन पुस्तकों का विमोचन किया। मध्यकालीन मिथिला का इतिहास, गांधी नमन और हरिहर सुकाव्य कीर्ति गया विमोचन करते हुए उन्होंने इसके लेखकों को वह बधाई देते हुए मंगल भविष्य की कामना की। कॉन्फ्रेंस में पटना विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रोफेसर रासबिहारी प्रसाद सिंह, लिंग अध्ययन केंद्र के अध्यक्ष डॉ रंजना मिश्रा उपाध्यक्ष डॉ सुनीता शर्मा, सचिव डॉ अविनाश कुमार झा, डॉ सेलिन क्रासटा, श्रीलंका के केलानीय यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर डॉ ई ए डी अनुषा सहित अन्य गणमान्य लोगों ने भाग लिया।