
बिहार ब्रेकिंग-रविशंकर शर्मा-पटना

जब भी किसी इंसान की जान खतरे में होती है, तब प्रखण्ड स्तरीय और अनुमण्डल स्तरीय अस्पताल उसे पीएमसीएच रेफर करते हैं। पीएमसीएच रेफर होने का मतलब ही है पीड़ित की हालत का नाजुक और अत्यंत गंभीर होना। और ऐसी परिस्थिति में पीड़ित के लिये एक एक मिनट अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। पीएमसीएच राजधानी पटना में स्थित है इसके बाबजूद इसकी बदहाल स्थिति से इनकार नही किया जा सकता। आप सामान्य नागरिक हैं तो इस खिड़की से उस खिड़की और इस वार्ड से उस वार्ड के चक्कर लगाते रह जाएंगे। यानी आपके पास किसी रसूखदार का पैरवी आवश्यक है।
खैर ये समस्या तो वर्षों से चली आ ही रही है लेकिन जो सबसे बड़ी समस्या है वो ट्रैफिक जाम का है। पटना बायपास से पीएमसीएच पहुँचने में एक घण्टे का समय लगता है जबकी दूरी महज 10 किलोमीटर है। और उस परिस्थिति में जब मरीज के लिये एक एक मिनट अत्यंत महत्वपूर्ण हो तो जरा महसूस कीजिये एम्बुलेंस में उस मरीज की हालत और उसके परिजनों के दर्द को। ऐसी स्थिति किसी के साथ कभी भी हो सकती है। इसलिये जनहित में हम अपने चैनल के माध्यम से सरकार का ध्यान इस ओर आकृष्ट करना चाहते हैं कि पीएमसीएच और ऐसे किसी भी बड़े अस्पताल के लिये एक ग्रीन कॉरिडोर का अविलम्ब निर्माण करे वो भी प्राथमिकता के साथ।
याद रखिये ये किसी की जिंदगी और मौत से जुड़ा मामला है, जिसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार पर है। ग्रीन कॉरिडोर ही एक मात्र रास्ता है जिससे एम्बुलेंस में दम तोड़ते मरीजों को जीवनदान देकर उनका परिवार उजड़ने से बचाया जा सकता है। सरकार सक्षम है वो कर सकती है। बस करने की इच्छाशक्ति होनी चाहिये और अगर सरकार ऐसे गंभीर मसलों को भी नजर अंदाज करती है तो फिर आप कितने ही बड़े अस्पताल क्यों ना बना लें, अगर मरीज समय से वहाँ तक नही पहुँच पाता है तो ऐसी संवेदनहीन सरकार का ना होना ही बेहतर है।