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पटना हाईकोर्ट ने आज बिहार के सरकारी टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज में विभिन्न विषयों के नवसृजित कुल 478 लेक्चरर की नियुक्ति के लिए आयोजित खुली प्रतियोगिता परीक्षा के रिजल्ट में व्यापक पैमाने पर हुई धांधली मामले की सुनवाई करते हुए बीपीएससी से जवाब तलब किया है। मामला विज्ञापन संख्या-02/2016 से जुड़ा है। याचिका संख्या CWJC 13937/19 डा कुमार संजीव बनाम राज्य सरकार मामले में जस्टिस अनिल कुमार उपाध्याय ने बीपीएससी को फटकार लगाई। याचिका में याचिकाकर्ता ने सरकारी टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज में लेक्चरर नियुक्ति के लिए आयोजित खुली प्रतियोगिता परीक्षा के रिजल्ट में व्यापक पैमाने पर हुई गड़बड़ी के चलते परीक्षा परिणाम रद्द करने की मांग हाईकोर्ट से की है। याचिका में विज्ञापन-02/2016 में उल्लिखित शर्तों के साथ छेड़छाड़ कर रिजल्ट प्रकाशित करने का आरोप बीपीएससी पर लगाया गया है। मामले की अगली सुनवाई 19 अगस्त को होगी।
आइये जानते हैं क्या है पूरा मामला?
बीपीएससी ने विज्ञापन संख्या 02/2016 के तहत 16 विषयों के कुल 478 लेक्चरर की नियुक्ति के लिए योग्य आवेदकों से आवेदन मांगी थी। इन 16 विषयों के लेक्चरर के लिए विषयवार रिक्तियां इस प्रकार थी: 1. फाउंडेशन कोर्स (52 पद), 2. समावेशी शिक्षा (38), 3. शैक्षिक प्रौद्योगिकी (19 पद), 4.योजना एवं शोध (38 पद) 5. हिंदी (35 पद), 6. अंग्रेजी (35 पद), 7. उर्दू (17 पद), 8. संस्कृत (10 पद), 9. बंगला (3 पद), 10. मैथिली (5 पद), 11. गणित (34 पद), 12. भौतिकी (31 पद), 13. रसायनशास्त्र (31 पद), 14. वनस्पतिशास्त्र (30 पद), 15. प्राणीशास्त्र (31 पद) और 16. सामाजिक विज्ञान (69 पद)। कालांतर में बीपीएससी ने 4927 सुयोग्य उम्मीदवारों की लिस्ट अपने अधिकारिक वेबसाइट www.bpsc.ac.in पर प्रकाशित की थी। सभी योग्य उम्मीदवारों को एडमिटकार्ड ऑनलाइन उपलब्ध कर दिया गया।बीपीएससी ने दिनांक 25 अगस्त 2018 को राजधानी पटना के विभिन्न परीक्षा केन्द्रों पर इसके लिए खुली प्रतियोगिता परीक्षा भी आयोजित की और 25 जून 2019 को उक्त परीक्षा के रिजल्ट का प्रकाशन भी कर दिया। रिजल्ट में मूल विज्ञापन की शर्तों के साथ व्यापक पैमान पर गड़बड़ी किये जाने की बात सामने आई।
BPSC ने परीक्षा लिया 1 विषय का रिजल्ट निकाला 16 का
बीपीएससी ने 60 अंको के बहुविकल्पी वस्तुनिष्ट प्रश्नों वाली 1 पेपर ‘फाउंडेशन’ (Foundation) की परीक्षा ली थी। लेकिन फाउंडेशन की बजाय 478 रिजल्ट निकाल दिया ‘कॉमन ग्रुप’ विषय के लेक्चरर का । और तो और कोटि संख्या 1. फाउंडेशन कोर्स, 2. समावेशी शिक्षा, 3. शैक्षिक प्रौद्योगिकी, और 4.योजना एवं शोध जैसे अलग-अलग विषयों को मिलाकर एक नई कोटि ‘कॉमन ग्रुप’ का निर्माण कर दिया। इस विषय के लेक्चरर के नवसृजित पदों का जिक्र न तो मूल विज्ञापन में किया गया था और न ही इस संबंध में बीपीएससी ने किसी अख़बार में कभी कोई शुद्धिपत्र (Corrigendum) ही प्रकाशित किया। सवाल उठता है कि बीपीएससी ने केवल फाउंडेशन की परीक्षा लेकर हिंदी, संस्कृत, उर्दू, अंग्रेजी, गणित भौतिकी, रसायनशास्त्र, वनस्पतिशास्त्र, प्राणिशास्त्र और सामाजिक विज्ञान सरीखे 15 अन्य स्वतंत्र विषयों का रिजल्ट जारी कर क्या सुयोग्य उम्मीदवारों के साथ नैसर्गिक न्याय किया? फाउंडेशन (विषय कोटि-1) की लिखित परीक्षा लेकर बीपीएससी ने 15 अन्य स्वतंत्र विषयों की दक्षता का आकलन किस साइंटिफिक स्केल से किया इसका अंदाजा खुद ही लगाया जा सकता है?
रिजल्ट निकालना था 2.5 गुणा निकाल दिया 3 गुणा
मूल विज्ञापन की कंडिका-5 ‘चयन का आधार’ में स्पष्ट वर्णित है कि वस्तुनिष्ठ परीक्षा के प्राप्त अंकों के आधार पर इंटरव्यू लिया जायेगा। इंटरव्यू हेतु रिक्ति के 2.5 (ढाई) गुणा उम्मीदवारों को आरक्षण कोटिवार आमंत्रित किया जायेगा। इस तरह बीपीएससी को विज्ञापन के शर्तों के मुताबिक कुल रिक्ति 478 के 2.5 गुणा यानी कुल 1195 उम्मीदवारों का रिजल्ट प्रकाशित करना चाहिए था लेकिन उसने कुल 1370 उम्मीदवारों का रिजल्ट प्रकाशित कर दिया जो कि कुल विज्ञापित पद का 2.86 गुणा है। यह कानूनसंगत नहीं है। विज्ञापन में यह कतई नहीं कहा गया था कि विषयवार 2.5 गुणा उम्मीदवार को बुलाया जायेगा। बल्कि विज्ञापन की भाषा से यह स्पष्ट हो रहा है कि विषय की प्राथमिकता साक्षात्कार के समय लिया जायेगा। इस आधार पर विषयवार परिणाम निकालना गैरक़ानूनी है। पद क्रमांक 1, 2, 3 और 4 को संयुक्त करके 147 पदों के लिए 478 उम्मीदवारों का क्रमांक प्रकाशित किया गया । बीपीएससी ने प्राणीशास्त्र और हिंदी विषय में 2.5 गुणा रिजल्ट निकालने की बजाय 3 गुणा रिजल्ट प्रकाशित कर दिया वहीँ भौतिकी, रसायनशास्त्र, गणित, अंग्रेजी, मैथिली और बांगला जैसे विषयों में इंटरव्यू हेतु 2.5 गुणा से कम प्रकाशित किया जो विज्ञापन के प्रतिकूल है। रिजल्ट में फाउंडेशन कोर्स, समावेशी शिक्षा, शैक्षिक प्रौद्योगिकी और योजना एवं शोध के लेक्चरर के लिए कितने-कितने अभ्यर्थी क्वालीफाई किया इसका जिक्र तक नहीं किया गया है। जबकि मूल विज्ञापन में इन सभी चारों विषयों के लेक्चरर के रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए अलग अलग संख्या में विषयवार आवेदन आमंत्रित किये गए थे।
न्यूनतम अहर्तांक के मुताबिक नहीं निकाला गया रिजल्ट
रिजल्ट में राज्य सरकार द्वारा लिखित परीक्षा के लिए निर्धारित न्यूनतम अंक का जिक्र किया गया है। बीपीएससी ने स्वयं स्वीकार किया कि उसने सामान्य कोटि के लिए 40 प्रतिशत, अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लिए 34 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग के लिए 36.5 प्रतिशत और अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति/ महिला/ विकलांग के लिए 32 प्रतिशत लब्धांक को अर्हक आधार मानते हुए रिजल्ट का प्रकाशन किया है। लेकिन किस कोटि में कितने लब्धांक पर रिजल्ट निकाला बीपीएससी ने इसका जिक्र नहीं किया यह बीपीएससी की संदिग्धता का परिचायक है। सभी कोटि के न्यूनतम लब्धांक के उपर अंक लाने वाले सभी अभ्यर्थियों का रिजल्ट प्रकाशित करने का आदेश जारी किया जाए या पूरा रिजल्ट ही रद्द कर दिया जाए इसका भी हाईकोर्ट से आग्रह इस याचिका में किया गया है।
एक-एक अभ्यर्थी को करा दिया तीन-तीन विषयों में क्वालीफाई
रिजल्ट में बीपीएससी ने एक अभ्यर्थी को तीन-तीन विषयों के लेक्चरर के लिए सुयोग्य घोषित कर दिया। कुल 25 ऐसे अभ्यर्थी भी शामिल है जो ‘कॉमन ग्रुप’ के साथ-साथ दो अन्य विषय में भी चयनित हुए है। गौर करने की बात है कि जब अलग-अलग पदों के लिए एक संयुक्त परीक्षा का आयोजन हुआ तो उसमे अलग अलग मेरिट बनानी चाहिए थी। ऐसा बीपीएससी ने नहीं किया। बीपीएससी की इसी खेल से कई लोग चयनित होने से वंचित रह गए।
फाउंडेशन कोर्स में फेल लेकिन हिंदी व उर्दू कोटि के लिए हुए क्वालीफाई
कई अभ्यर्थी ऐसे हैं जिन्होने ‘फाऊंडेशन’ की परीक्षा तो दी लेकिन बीपीएससी ने उन्हें उक्त विषय के लेक्चरर के लिये सुयोग्य नही कर अंगरेजी या हिन्दी या फिर उर्दू के लिए सुयोग्य घोषित कर दिया। यह कौन सा नैसर्गिक न्याय है?
BPSC ने नहीं जारी किया खुली प्रतियोगिता परीक्षा का फाइनल आंसर की
बीपीएससी ने खुली प्रतियोगिता परीक्षा के आयोजन के बाद मॉडल आंसर की जारी किया था। साथ ही उसने अभ्यर्थियों से संदिग्ध प्रश्नों एवं उनके विकल्पों के बारे में आपति मांगी थी। आपत्ति पर विचारोपरांत बीपीएससी ने दुबारा फाइनल आंसर की का प्रकाशन नहीं किया। ऐसा करना बीपीएससी के संदिग्धता का परिचायक है।याचिकाकर्ता के वकील संजय कुमार ने उपरोक्त तथ्यों के आधार पर खुली प्रतियोगिता परीक्षा रिजल्ट के साथ-साथ विज्ञापन संख्या 02/2016 को रद्द किये जाने की मांग पटना हाईकोर्ट से की है।