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एक तरफ बिहार के मुजफ्फरपुर समेत अन्य जिलों में जहां एईएस की वजह से डेढ़ सौ से अधिक बच्चों की मौत के बाद पहले ही राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़े हो रहे हैं वहीं गया से एक मानवीय संवेदना को झकझोर देने वाली वाकया सामने आया है। मगध प्रमंडल के एकमात्र अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल में जब सरकारी कर्मियों ने घण्टों बात नहीं सुनी तो मजबूरन युवक अपनी बहन की शव को गोद मे उठा कर वार्ड से बाहर आया। उसे न तो अस्पताल के तरफ से एक स्ट्रेचर उपलब्ध कराया गया और न ही शव वाहन। मिली जानकारी के अनुसार डुमरिया प्रखंड के पथरा गांव की हेमंती कुमारी विगत 25 जून को हाई शुगर की वजह से अस्पताल में भर्ती हुई थी, लेकिन शुगर लेवल बहुत ही बढ़ जाने से उसकी मौत बुधवार की सुबह करीब दस बजे हो गई। बहन की मौत के बाद उसका भाई अस्पताल कर्मी के चक्कर काटता रहा लेकिन किसी ने उसकी मदद करने की कोशिश नहीं की। साथ ही उसने टोल फ्री नंबर पर फोन कर शव वाहन उपलब्ध कराने की बात की। हालांकि टोल फ्री नंबर और फोन करने के बाद शव वाहन तो आई लेकिन उसका चालक शराब के नशे में था और नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने की वजह से उसके गांव जाने से मना कर दिया। अंत मे मजबूरी में भाई ने बहन की शव को गोदी में लेकर वार्ड से बाहर तक लाया लेकिन किसी अस्पताल कर्मी ने एक स्ट्रेचर तक देने की जहमत नहीं उठाई। फिर वह किराए पर शव वाहन लेकर अस्पताल से करीब 110 किलोमीटर दूर अपने गांव पहुंचा।