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मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई विधि व्यवस्था एवं मद्य निषेध से संबंधित समीक्षा बैठक
1 अणे मार्ग स्थित ‘नेक संवाद’ में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज विधि व्यवस्था एवं मद्य निषेध से संबंधित समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में 07 जून 2019 एवं अन्य तिथियों को हुई समीक्षात्मक बैठकों के अनुपालन प्रतिवेदन प्रस्तुत किये गये। पुलिस मुख्यालय, सीआईडी स्पेशल ब्रांच, मद्य निषेध विभाग ने अपने प्रस्तुतीकरण में विस्तृत जानकारी दी। बैठक में अपराध नियंत्रण के लिए गस्ती वाहनों में जीपीएस यंत्र लगाने की व्यवस्था, थानों में वाहन की उपलब्धता, लंबित वारंट एवं कुर्की जब्ती के शीघ्र निष्पादन एवं थाना स्तर पर विधि व्यवस्था एवं अनुसंधान के पृथक्करण पर चर्चा की गयी। जिन थानों के भवन नहीं हैं, उनके लिए भूमि चयन, भूमि विवाद एवं उससे संबंधित विधि व्यवस्था, थानों के लिए रिवाल्विंग फंड आदि की भी बैठक में जानकारी दी गई। बैठक में थानावार अपराध विश्लेषण, अनुसंधान गुणवत्ता एवं संवर्द्धन प्रशिक्षण, स्पेशल ब्रांच के सुदृढ़ीकरण एवं पुनर्गठन हेतु पदों के सृजन पर भी चर्चा हुयी। इसके साथ ही आर्थिक अपराध, मद्य निषेध, मादक पदार्थों की तस्करी के लिए आसूचना संकलन एवं संग्रहण कर उन पर की जा रही कार्रवाइयों के बारे में भी जानकारी दी गई।
समीक्षा के क्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि अपराध नियंत्रण के लिए पुलिस गस्ती लगातार करते रहने की जरुरत है। गस्ती वाहनों मेंजीपीएस तकनीक को उपयोग में लाए जाने की जरुरत है। सभी थानों की स्टेशन डायरी मेंटेन रखी जाए। थानों के स्टेशनरी खर्च के लिए जो राशि तय की गई है, उसके लिए रिवॉल्विंग फंड की व्यवस्था की गई है। सीसीटीएनएस परियोजना के अंतर्गत प्रत्येक थाने में लगाए जाने वाले कंप्यूटर, डाटा ऑपरेटर, इंटरनेट का कार्य तेजी से करें। प्रत्येक थाने में लैंड लाइन फोन की उपलब्धता हो, कानून व्यवस्था को दुरुस्त बनाए रखने के लिए सिस्टम का इम्प्रूवमेंट होते रहना जरूरी है। इसके लिए लगातार ग्राउंड लेबल पर काम करते रहना होगा। उन्होंने कहा कि विशेष शाखा के सुदृढ़ीकरण से पुलिस कार्यों की गुणवत्ता में और सुधार आएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में मद्य निषेध को और प्रभावी एवं कारगर ढंग से लागू करने के लिए हम सबको सेंटिमेंटल एप्राेच के साथ काम करना होगा। शराब के अवैध व्यापार की जांच में जो गाड़ियां पकड़ी गई हैं, उन गाड़ियों की स्थिति क्या है वो किसकी गाड़ी है ठीक ढंग से पता करने से इस व्यवसाय के विभिन्न एंगल का समझने में सुविधा हाेगी। थानेदार से लेकर एसपी स्तर के पदाधिकारी इसके लिए विशेष तौर पर सतर्क रहें। देशी एवं विदेशी शराब के धंधेबाजों को पकड़ने के लिए गंभीरतापूर्वक मंथन करें और उसके लिए मुस्तैद रहें। जिन पुलिस अधिकारियों की शराब के धंधेबाजों के साथ मिलीभगत हो उनके खिलाफ भी विभागीय स्तर पर कड़ी कार्रवाई हो।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शराबबंदी से समाज के वातावरण में काफी बदलाव आया है। अगर यहां के अधिकारी और यहां के लोग शराबबंदी को खत्म करने के लिए पूरे भावनात्मक तौर पर इसके पीछे लग जाएं तो यह पूर्णतः प्रभावकारी होगा और देश में एक मिसाल बनेगा। इसके लिए सभी को प्रेरित करने की जरुरत है। वर्ष 2016 की ड्ब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट, जो वर्ष 2018 में प्रकाशित हुई थी उसमें यह बताया गया था कि जितनी मृत्यु होती है उसमें 5.3 प्रतिशत मृत्यु शराब पीने की वजह से होती है। 20 से 39 आयु वर्ग के लोगों की होने वाली मौत में से 13.5 प्रतिशत शराब के सेवन करने से होती है। यह लोगाें को बताने की जरुरत है, जिससे लोग सतर्क रह सकें। शराबबंदी से लोगों का पैसा बचा है, जिसका उपयोग वे अपने अन्य उपयोगी कामों के लिए कर रहे हैं। शराबबंदी के बाद राज्य में नेशनल एवं इंटरनेशनल पर्यटकों की संख्या भी बढ़ी है।
बैठक में मद्य निषेध, उत्पाद सह निबंधन मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव, मुख्य सचिव दीपक कुमार, अपर मुख्य सचिव गृह आमिर सुबहानी, पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पांडेय, पुलिस महानिदेशक सह भवन निर्माण निगम के प्रबंध निदेशक सुनील कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव मनीष कुमार वर्मा, मुख्यमंत्री के सचिव अनुपम कुमार, पुलिस महानिदेशक (सीआईडी) विनय कुमार, पुलिस महानिदेशक (हेडक्वार्टर) एके सिंघल, एडीजी मॉडर्नाईजेशन भृगु श्रीनिवासन, एडीजी स्पेशल ब्रांच जे एस गंगवार, एडीजी मुख्यालय जितेंद्र कुमार, एडीजी लॉ एंड ऑर्डर अमित कुमार, आईजी मुख्यालय नैय्यर हसनैन खां, मुख्यमंत्री सचिवालय के अपर सचिव चंद्रशेखर सिंह, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी गोपाल सिंह सहित राज्य पुलिस मुख्यालय के अन्य वरीय पदाधिकारीगण उपस्थित थे।