
बिहार ब्रेकिंग-रविशंकर शर्मा-बाढ़

राजेंद्रपुल के रास्ते उत्तर बिहार जाने वाले लोगों के लिए अच्छी खबर नही है। ओवरलोडेड ट्रकों का परिचालन कभी भी आवागमन को बंद कर सकता है। मोकामा राजेन्द्र पुल इन दिनों ओवरलोडेड ट्रकों की भार से दबी जा रही है। क्षमता से अधिक बालू और गिट्टी लदी ट्रक जब पुल से गुजरती है तो पुल कांप उठती है। दूसरी ओर पुल पर जाने वाली चढ़ाई पर भारी वाहन चढ़ते है, तो हाँफते हुए दम तोड़ देते है। जबकि पुल से गुजरने वाली वाहनों की क्षमता 30 टन से अधिक वर्जित है। बावजूद इसके नियमों की अनदेखी करते हुए 60 से 70 टन से अधिक क्षमता वाले वाहनों का परिचालन किया जा रहा है। इसके कारण रोज ट्रकों का ब्रेक डाउन होना आम बात है। गाड़ियों का दबाब इतना ज्यादा है कि ब्रेक डाउन होते ही वाहनों की लंबी कतार लग जाती है। पिछले कई महीनों से जाम की स्थिति बनी हुई है। कभी कभी हालात इतनी बुरी हो जाती है कि बाइक भी निकलना मुश्किल हो जाता है। मरीज एम्बुलेंस में ही दम तोड़ रहे हैं तो पुलिस जाम को छुड़ाने में विफल साबित हो रही है।हालात यह बन गई है कि करीब दो किलोमीटर पुल की यात्रा तय करने में पाँच से सात घँटे लग रहे है।
लोगों का कहना है कि सीमावर्ती थाना इसके लिये जिम्मेदार है। दो जिलो यानि कि पटना और बेगूसराय के प्रशासनिक झगड़े की मार पुल को झेलना पर रहा है। सीमावर्ती थाने एक दूसरे पर दोषारोपण कर पल्ला झाड़ रहे है।मुख्य रूप से पटना जिले के हाथीदह और बेगूसराय जिले के चकिया थाना की जिम्मेदारी बनती है कि पुल पर यातायात व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालन हो। पुल के दोनो किनारों पर पुलिस के द्वारा सी सीटीटीवी सिर्फ दिखावे के लिये लगा दिए गए हैं। जो काम नही कर रहे। दरअसल एनएच 31, 80 और 82 यानि कि तीन हाइवे की गाड़ियां इस पुल से होकर आती-जाती है। आलम यह है कि एनएच-31 पर पंडारक से जीरोमाइल तक करीब 30 किलोमीटर से ऊपर तक जाम लग जाया करता है । ट्रक मालिकों और चालकों का कहना है कि इस खेल में पुलिस की मोटी कमाई हो रही है। पूरे प्रदेश में जहाँ से होकर गिट्टी बालू की ट्रकें गुजरती है वहाँ के थानेदारों के लिये ट्रकें सोने का अंडा देने वाली मुर्गी साबित हो रही है। खदान से लेकर बिक्री होने तक जितने भी थाने है, सभी को नजराना देकर निकलना पड़ता है। हाइवे से गुजरने वाली ओवरलोडेड ट्रकों के परिचालन से पुलिस की गाढ़ी कमाई होती है। ट्रक ऑनर के अनुसार ओवरलोड न चलाएं तो बचत नही होती है और चलाने पर पुलिस बचत नहीं होने देती, ट्रक ऑनर्स एशोसिएशन के सदस्य पप्पू योगी कहते हैं की बिहार के अधिकांश बड़े वाहन किश्त के बोझ से दबे पड़े हैं। ओवरलोडेड ट्रकों का परिचालन पुलिस की मिलीभगत से हो रहा है। इसके लिए इंट्री फीस के रूप में मासिक भुगतान किया जाता है, या फिर प्रति ट्रिप प्रति थाना पासिंग लेना पड़ता है। नाम नही छापने के शर्त पर एक ट्रक मालिक ने बताया कि बिना इंट्री वाले ट्रकों को दिखावे के लिए पुलिस पकड़ती है और दस में दो का चालान होता है बाकी से मोटी रकम वसूल कर थाने से ही छोड़ दिया जाता है। इस एंट्री और पासिंग के खेल से पुल की आयु को अल्प किया जा रहा है। पुल के कई जॉइंट प्लेटें दरकने लगी हैं जिसे सीमेंट से लीपापोती कर काम चलाया जा रहा है।
प्रशासनिक रूप से पुल पर रेलवे का सर्वाधिकार है। हाथीदह थानाध्यक्ष रविरंजन कुमार सिंह ने कहा कि खराब गाड़ियों को ठीक करने में या सेतु से बाहर निकालने में कड़ी मशक्कत करनी होती है जिसमे बहुत वक़्त लग जाता है और तबतक वाहनों की लंबी कतार लग जाया करती है, और जबतक बेगुसराय पुलिस सहयोग नही करेगी स्थिति में सुधार नही होगा। वाहनों के अधिक दबाब के कारण जाम की समस्या विकराल बनी हुई है। वहीं पटना पुलिस और बेगुसराय पुलिस एक दूसरे पर दोषारोपण करने में लगी रहती है। हालाँकि ट्रक चालक और मालिक दूसरी कहानी बयां करते हैं, इनके अनुसार कोई थाना ऐसा नही जिससे होकर एंट्री पासिंग ना देना पड़े। जहां एंट्री होती है वहाँ पुलिस बाले सौ रुपये लेकर निकलने देते हैं परंतु जहाँ एंट्री नही होती वहाँ 500 तक प्रति वाहन प्रति ट्रिप वसूला जाता है। इसके लिए हमारे विशेष संवादाता रविशंकर ने दानापुर और सोनपुर रेलमंडल के मंडल रेल प्रबंधक को भी लिखा परंतु दोनो में से किसी ने कोई उत्तर नही दिया। जबकि पुल की स्थिति कितनी जर्जर होती जा रही है और कैसे ओवरलोड वाहनों का परिचालन कराया जा रहा है ये तस्वीरों के जरिये आपके सामने है। शासकीय लापरवाही का सारा मार आम जनता को झेलना पड़ रहा है। कभी बढ़े हुए बालू के कीमत पर तो कभी गृह निर्माण के अन्य सामग्रियों पर आम जनता की जेबें काटी जा रही है। हालाँकि पटना के ग्रामीण एसपी ने कहा है कि वे परिवहन विभाग के साथ मिलके अभियान चलाएंगे।