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बिहार ब्रेकिंग

भोपाल से भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने हमें एक नई जानकारी दी है। गुरुवार को रोड शो के दौरान पत्रकारों से बातचीत करते हुए साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का हत्यारा नाथूराम गोडसे देशभक्त था। उन्होंने कहा कि नाथूराम गोडसे देशभक्त थे, हैं और रहेंगे। उनके इस बयान के बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया। भारतीय जनता पार्टी ने अपनी बुद्धिमत्ता का परिचय देते हुए इसे साध्वी प्रज्ञा का निजी बयान बताया और इस बयान से पल्ला झाड़ लिया। बवाल मचता देख और राजनीतिक लाभ हानि की चिंता करते हुए प्रज्ञा ठाकुर ने भी माफी मांग ली। लेकिन इस प्रश्न का जवाब अधूरा रह गया कि उनके अनुसार यदि नाथूराम गोडसे देशभक्त थे तो फिर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी क्या थे? क्योंकि इतना तो तय है कि यदि देशभक्त नाथूराम गोडसे ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या की है तो दोनों तो देशभक्त नहीं हो सकते। साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को और स्पष्ट करना चाहिए था कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बारे में उनकी क्या राय है। यदि वह उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे का महिमामंडन कर रही हैं तो फिर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बारे में उनके क्या विचार हैं।
पहले भी साध्वी प्रज्ञा के कुछ बयान काफी विवादास्पद रहे हैं। उनके श्राप से शहीद हेमंत करकरे की मौत हो गई। लेकिन उनका श्राप आतंकवादियों पर काम नहीं करता है। जाने क्यों देश की एक जिम्मेवार राष्ट्रीय पार्टी ऐसे नमूनों को खोज खोज कर कहां से लाती है और उन्हें टिकट देकर संसद में भेजने के लिए प्रयासरत है। यह वही साध्वी प्रज्ञा हैं जो 29 सितंबर 2008 को मालेगांव में हुए बम धमाके की मुख्य आरोपी हैं और करीब 9 साल जेल में रहने और कैंसर से पीड़ित होने के बाद इलाज के लिए जमानत पर रिहा हुई हैं। उस ब्लास्ट में 6 लोगों की मौत हुई थी जबकि सौ से अधिक लोग घायल हो गए थे। इतना ही नहीं 2007 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक सुनील जोशी हत्याकांड की भी आरोपी रही हैं। भले ही बाद में साक्ष्य के अभाव में अदालत ने उन्हें आरोप मुक्त कर दिया है।
सवाल साध्वी प्रज्ञा जैसे लोगों का नहीं है, जिनकी मानसिकता, जिनकी सोंच नकारात्मक है। सवाल भारतीय जनता पार्टी जैसे राष्ट्रीय और जिम्मेदार दल की है जो ऐसे लोगों को अपने दल में शामिल करते हैं और जनता को उन्हें चुन कर संसद में भेजने के लिए मजबूर करते हैं।साध्वी के चुनाव प्रचार में भाजपा के दिग्गज जाते हैं, राष्ट्रवाद, देशभक्ति और मोदी के नाम पर वोट मांगते हैं।साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को वोट देने की अपील करते हैं, तो फिर निश्चित रूप साध्वी के इस तरह के बयान से भाजपा पल्ला नहीं झाड़ सकती। इस बयान के लिए भाजपा को जिम्मेवारी लेनी चाहिए और देश के सामने इस बयान के मायने स्पष्ट करना चाहिए।